Tuesday, November 5, 2024
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कश्मीरी पंडितों ने ‘फूल’ को साबित किया फूल ताकि केजरीवाल को याद आए अपनी भूल, फिर भी दिल्ली के CM ने नहीं सुधारी ‘भूल’

कश्मीरी पंडित समाज की महिलाओं ने हाथ से पुष्प गुच्छ को हिला-हिला कर पुलिसकर्मियों को दिखाया कि ये फूल ही है, उसके भीतर कोई खतरनाक चीज नहीं है। ये एक भावुक कर देने वाला दृश्य था।

बीते 32 वर्षों से अपने ही देश में शरणार्थी की तरह रह रहे कश्मीरी पंडितों में से कुछ जब बुधवार (30 मार्च, 2022) को मध्य दिल्ली के सिविल लाइंस के 6, फ्लैगस्टाफ़ मार्ग स्थित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के पास पहुँचे तो उन्हें काफी पहले ही रोक दिया गया। विरोध प्रदर्शन की अनुमति के बावजूद उन्हें सीएम आवास के आसपास भी नहीं फटकने दिया, जबकि वो काफी शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रख रहे थे।

हमने वहाँ पुलिसकर्मियों की भारी तैनाती देखी, जिन्होंने बैरिकेट्स लगा कर सीएम आवास की तरफ जाने वाले रास्ते को रोक रखा था और कश्मीरी पंडितों को आगे नहीं जाने दे रहे थे। दिल्ली पुलिस के जवान भी कह रहे थे कि क्या कर सकते हैं, हमारी मजबूरी है। मजबूरी इसीलिए, क्योंकि ऊपर से ऐसा ही आदेश था। दिल्ली विधानसभा में जिस तरह ‘The Kashmir Files’ और कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर ठहाके लगे, उससे ये कश्मीरी पंडित नाराज़ थे।

वो AAP सुप्रीमो को फूल देना चाहते थे। ये अपने साथ पुष्प के गुच्छे लाए थे। अब भला किसी को फूल भेंट करने से अच्छा गेस्चर क्या दिखाया जा सकता है? लेकिन, पुलिस ने उन्हें मना कर दिया। कश्मीरी पंडितों ने अंत में कहा कि उनमें से किसी एक को मुख्यमंत्री को फूल सौंपने के लिए अंदर जाने की अनुमति दी जाए, तो इस पर भी उनकी बात नहीं मानी गई। कश्मीरी पंडित समाज की महिलाएँ पूछ रही थीं कि ये फूल नहीं, बम है क्या जो उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है?

कश्मीरी पंडित समाज की महिलाओं ने हाथ से पुष्प गुच्छ को हिला-हिला कर पुलिसकर्मियों को दिखाया कि ये फूल ही है, उसके भीतर कोई खतरनाक चीज नहीं है। ये एक भावुक कर देने वाला दृश्य था। जिन्हें 32 वर्ष पहले उनके अपने ही घर और प्रदेश से भगा दिया गया, हत्याएँ और बलात्कार की कई घटनाएँ हुईं, फिर उनके नरसंहार पर ठहाके लगाए गए – उन्हीं कश्मीरी पंडितों को साबित करना पड़ रहा था कि उनके हाथ में फूल है, बम नहीं।

खैर, अंत में प्रदर्शनकारी कश्मीरी पंडितों ने दरख्वास्त की कि कम से कम उनका मान रख लिया जाए और कोई अधिकारी सीएम आवास की तरफ से आकर उनसे ये फूल ले लें। लेकिन, हमारे सामने पुलिसकर्मियों ने किसी से बात की और फिर कहा कि इसकी भी अनुमति नहीं है। हमने उन पुलिसकर्मियों से पूछा कि आप ही इनसे ये पुष्पगुच्छ लेकर सीएम को क्यों नहीं दे देते, इस पर उन्होंने कहा कि इसका कोई फायदा नहीं है क्योंकि उन्हें फिर इन फूलों पर वहीं रखना पड़ेगा।

अंत में विरोध प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडितों ने उन फूलों को वहाँ रखे गए बैरिकेड्स पर ही लगा दिया। एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी ठीक रहें, वो इसकी प्रार्थना करती हैं। इन महिलाओं ने अरविंद केजरीवाल को ‘Get Well Soon’ कहते हुए दिखाया कि पुलिस वालों ने इन फूलों को वेरिफाई किया है और इसमें सब ठीक है। इसके बाद उन्होंने बैरिकेड्स पर फूल लगाते हुए कहा – हमारी शुभकामनाएँ हैं कि अरविंद केजरीवाल जल्द स्वस्थ हो जाएँ, दिमाग से भी स्वस्थ हो जाएँ।

उन्होंने कहा, “ये जो हमारा नरसंहार हुआ है, बच्चों तक, ये कोई मजाक या प्रोपेगंडा नहीं है। कॉमेडी भी नहीं है, जिस पर आपके सदन में ठहाके लगा कर हँसे गए। हम एक जीती-जागती व्यथा हैं जो 32 वर्षों से झेल रहे हैं। हम इस नरसंहार के सर्वाइवर्स हैं। ‘The Kashmir Files’ एक माध्यम है, उस व्यथा को दुनिया तक पहुँचाने के लिए। आपने सरेआम नरसंहार के पीड़ितों का मजाक उड़ाया है। हम सब उस नरसंहार के लिए न्याय चाहते हैं।”

कुसुम पंडिता नाम की कश्मीरी पंडित महिला ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा, “अभी हाल ही में केजरीवाल साहब ने जो कश्मीरी पंडितों का मजाक उड़ाया है, हम उसी के लिए यहाँ पर इकट्ठा हुए हैं। हमें उनसे यह उम्मीद नहीं थी कि केजरीवाल साहब ऐसा मजाक उड़ाएँगे। उनको ये समझना चाहिए कि हम पिछले 32 सालों से जिस दर्द से गुजर रहे हैं, हम अपना घर छोड़कर आए हैं, तो उनको ये सब नहीं करना चाहिए था। हमलोग सिर्फ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हम बस इतना चाहते हैं कि वह हमारे पूरे समाज से एक बार माफी माँगें।”

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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