उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार (20 जून) को कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए इस सिस्टम में कोई स्थान नहीं है और उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी जानी चाहिए। आदित्यनाथ ने उन अधिकारियों की सूची तैयार करने के आदेश भी जारी किए जिनके पास मामले काफ़ी समय से लंबित हैं या वे संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को राज्य सचिवालय के प्रशासनिक विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अदालती आदेशों से संबंधित मामलों को योग्यता के आधार पर तुरंत निपटाया जाना चाहिए। एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री द्वारा ‘आउटसोर्सिंग’ के ज़रिए काम पर रखे गए कर्मचारियों के लंबित वेतन को तुरंत दिए जाने का आग्रह भी किया गया है।
इसके अलावा ई-ऑफिस प्रणाली के बारे में बात करते हुए, सीएम योगी ने अपडेट के बारे में पूछताछ की और अधिकारियों को हर कार्यालय को जोड़ने के काम में तेजी लाने के दिशा-निर्देश भी दिए। इसे जिला स्तर के कार्यालयों में भी ले जाया जाना चाहिए और सचिवालय के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को संरक्षित करने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उन कर्मचारियों के भुगतान को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, जो 4 महीने से अधिक समय से लंबित हैं। उन्होंने अधिकारियों को पदोन्नति से संबंधित मुद्दों पर उचित कार्रवाई करने, कर्मचारियों की रिक्तियों और सेवानिवृत्ति से संबंधित जानकारी को साझा करने के निर्देश दिए। प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा है कि वो भ्रष्ट कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करें, उनकी पदोन्नति प्रक्रिया को रोकें और उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दें।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि जल्द ही सचिवालय में उपस्थिति की बायो-मेट्रिक प्रणाली शुरू की जाएगी। स्वच्छता और सुरक्षा के बारे में बात करते हुए, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सचिवालय और अन्य संबंधित कार्यालयों में सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम के निर्देश भी जारी किए। उन्होंने निर्देश दिया, “किसी भी अवांछित व्यक्ति को अधिकारियों की अनुमति के बिना किसी भी प्रशासनिक कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिए और अनधिकृत व्यक्तियों के लिए मोबाइल फोन पर भी प्रतिबंध होना चाहिए।”
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने महान हस्तियों के नाम पर सभी सभागारों का नाम बदलने का भी निर्देश दिया। उन्होंने सचिवालय के अधिकारियों से कहा कि वे नगर निगम के साथ सहयोग करें और उन होर्डिंग्स को हटा दें जो विधान भवन और लोक भवन के सामने हैं। इस समीक्षा बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता, सचिवालय प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एसपी गोयल और विभाग के अन्य कर्मचारी भी उपस्थित थे।