गाँधी परिवार की अगुवाई में कॉन्ग्रेस पार्टी को एक बाद एक झटके लग रहे है। बिहार विधानसभा में करारी हार के बाद, अब गोवा प्रदेश कॉन्ग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के अध्यक्ष, उरफान मुल्ला ने पार्टी में दिशा और नेतृत्व की कमी का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
Urfan Mulla (file photo) resigns from post of Goa Pradesh Congress Committee Minority Chairman & Spox.
— ANI (@ANI) November 15, 2020
His letter to party chief Sonia Gandhi says, “Congress suffers from lack of org, direction & leadership. Old guards in party in Goa have miserably failed in decision making.” pic.twitter.com/oorn8XZTuB
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उरफान मुल्ला ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी को एक पत्र लिखकर अपना दर्द बताया है। मुल्ला ने सोनिया गाँधी को लिखे पत्र में कहा है, “कॉन्ग्रेस संगठन, दिशा और नेतृत्व की कमी से ग्रस्त है। गोवा में पार्टी के पुराने नेता निर्णय लेने में बुरी तरह विफल रहे हैं।”
गौरतलब है कि उरफान मुल्ला के इस्तीफा से पहले पार्टी के 23 सदस्यों ने भी सोनिया गाँधी को एक पत्र लिख पार्टी की स्थिति को लेकर चिंता और काम करने के तरीकों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। पत्र में कॉन्ग्रेस कार्यसमिति की तुरंत बैठक बुलाकर बिहार में चुनावी असफलता पर चर्चा करने और कथित तौर पर पार्टी में संगठनात्मक चुनाव की माँग की है।
रेडिफ पर प्रकाशित आर राजगोपालन की रिपोर्ट में बताया गया है कि सीडब्ल्यूसी के पाँच सदस्यों ने पत्र लिखे जाने की पुष्टि की है। कथित तौर पर पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि जब बिहार चुनाव प्रचार चरम पर था और यहाँ तक कि जिस दिन नतीजे आने थे, उस दिन भी पार्टी का नेतृत्व करने की बजाए राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा शिमला में छुट्टियाँ मना रहे थे।
पत्र में बिहार की चुनावी असफलता के संदर्भ में कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा कई तरह की चिंता जताई गई है। साथ ही अहमद पटेल के कोरोना संक्रमण और महामारी के कारण नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय 24, अकबर रोड में राजनीतिक गतिविधियाँ ठप होने को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है।
रेडिफ ने एक वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा, “क्या इस तरह की लापरवाही कोई और पार्टी दिखाई सकती है जिसका राष्ट्रीय प्रभव हो?” रिपोर्ट में एक अन्य नेता के हवाले से पार्टी में पैदा शून्य को लेकर कहा गया है, “कॉन्ग्रेस केवल प्रवक्ताओं के टेलीविजन बहस के आसरे चल रही है।”