भले ही पंजाब सरकार कृषि सुधारों को लेकर आए दिन भारत सरकार के साथ विवाद की स्थिति में ही रहती हो किन्तु भारत सरकार के हस्तक्षेप के कारण पंजाब में राज्य सरकार पर से एक बड़ा संकट टल गया। यदि केंद्र सरकार ने पहल न की होती तो पंजाब सरकार राज्य में किसानों से उपज खरीद पाने में असमर्थ रहती क्योंकि इस उद्देश्य के लिए लिया गया लोन 31, मार्च के पहले एनपीए होने की कगार पर पहुँच गया था।
मामला ऐसा है कि पंजाब सरकार का खाद्य भुगतान के लिए लिया गया लगभग 90,000 करोड़ रुपए का लोन वित्तीय वर्ष 2020-21 के समाप्त होने के साथ ही नॉन परफार्मिंग एसेट्स (NPA) में बदल जाता। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य क्रय एजेंसियों (SPA) ने बैंकों से लिया हुआ लोन वापस नहीं किया।
किसान अपनी उपज को इन्हीं राज्य क्रय एजेंसियों के माध्यम से एफसीआई और अन्य संस्थाओं को बेचते हैं। ये एजेंसियाँ किसानों को भुगतान करती हैं औरे बाद में खाद्य स्टॉक के आधार पर एफसीआई इन एजेंसियों को भुगतान करता है। किसानों को भुगतान करने के लिए एजेंसियां बैंकों के विशेष समूह से लोन लेती हैं। बैंकों का यह समूह ‘फूड क्रेडिट कॉनसॉर्टियम (FCC)’ कहा जाता है जिसका प्रमुख स्टेट बैंक ऑफ इंडिया है।
रबी और खरीफ सीजन के लिए क्रय एजेंसियां जो लोन लेती हैं उसे ‘कैश क्रेडिट लिमिट’ कहा जाता है। भारत सरकार संविधान के अनुच्छेद 293 के तहत राज्यों की सरकारों को यह लोन लेने की अनुमति प्रदान करती है। नियमानुसार यदि यह लोन 3 वर्षों के भीतर न चुकाया गया तो वह एनपीए में बदल जाता है।
पंजाब में राज्य क्रय एजेंसियों द्वारा लिया गया 89,200 करोड़ रुपए का लोन चुकता न हो पाने के कारण एनपीए होने के कगार पर था। इस मुद्दे पर भारतीय रिजर्व बैंक ने भी लोन चुकता करने की अवधि को 3 वर्ष से अधिक बढ़ाने से साफ मना कर दिया था। इस कारण पंजाब सरकार के पास 10 अप्रैल से शुरू हो रही खरीदी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए पैसों की भारी कमी थी।
पंजाब के किसानों के लिए यह एक आपातकाल स्थिति होने वाली थी। इस आपात स्थिति में सभी रास्ते बंद होने पर राज्य सरकार ने केंद्र को इसकी सूचना दी और राज्यों की क्रय एजेंसियों के पास उपलब्ध खाद्य स्टॉक को खरीदने का निवेदन किया। इस निवेदन पर संज्ञान लेते हुए केंद्र ने राज्य सरकार, एफसीआई और रेलवे बोर्ड के साथ विचार-विमर्श किया और निर्णय लिया कि एफसीआई, पंजाब की राज्य क्रय एजेंसियों के पास 2018-19 से उपलब्ध 22.42 मिलियन टन का खाद्य स्टॉक खरीदेगी और उसके लिए उन एजेंसियों को पूरा भुगतान भी किया जाएगा। इस प्रकार केंद्र सरकार के समय पर लिए गए निर्णय से पंजाब में किसानों को एक बड़ी आपात स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा।