पंजाब के विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election-2022) को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच 16 फरवरी 2022 को न्यूज चैनल आज तक के ‘पंजाब पंचायत‘ पर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और भगवंत मान (Bhagwant mann) ने अपनी जीत का दावा किया। इसी क्रम में भगवंत मान ने इस बात का भी दावा किया कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के तहत 25 करोड़ रुपए की निधि दी गई थी, लेकिन 2014-2019 के बीच उन्होंने कुल 26.6 करोड़ रुपए का हिसाब दिया। मान के मुताबिक, ये जो 1.1 करोड़ रुपए हैं ये उन्हें पाँच साल में बैंकों के द्वारा ब्याज मिले हैं। बाकी बचा फंड पिछले सांसद ने जो छोड़ दिया था वो है।
दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने एक रैली के दौरान भगवंत मान पर निशाना साधते हुए कहा था कि आखिर मान ने अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए क्या किया है? इसके जवाब में मान ने कहा, “सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत मुझे 2014-2019 के दौरान 25 करोड़ रुपए का फंड मिला। मैंने 26.61 करोड़ रुपए का हिसाब दिया।” भगवंत मान ने अधिक फंड के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जब भी किसी तरह का चुनाव होता था तो वो आचार संहिता के कारण एमपीलैड फंड का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे, जिस पर बैंक की तरफ से ब्याज दिया जाता था। उन्होंने दावा किया कि पाँच साल में उन्हें बैंकों के जरिए 1.01 करोड़ रुपए की ब्याज मिली है। मान कहते हैं कि इन 26 करोड़ में से 60 लाख रुपए पिछले सांसद ने छोड़ दिया था। मैंने कहा कि अगर 25 करोड़ रुपए जनता के हैं, तो उसका हित भी जनता का है।
2014-2019 के बीच सांसद के तौर पर भगवंत मान का रिकॉर्ड
MPLADS की बेवसाइट्स के मुताबिक, 2014-2019 के दौरान भगवंत मान को 2.5 करोड़ रुपए की 10 किस्तों में कुल 25 करोड़ रुपए की राशि दी गई थी।
उस वक्त ब्याज समेत मिलाकर कुल 25.84 करोड़ रुपए का फंड उपलब्ध था। इसमें से से आप सांसद ने 24.87 करोड़ रुपए का फंड अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए मंजूर किया था। इसमें से 24.53 करोड़ रुपयों (96.11%) का इस्तेमाल प्रोजेक्ट्स में किया गया, लेकिन 16वीं लोकसभा में उनका कार्यकाल पूरा होने तक मान के पास कुल 1.31 करोड़ रुपए का फंड ऐसा था, जिसका उपयोग ही नहीं किया गया था।
डैशबोर्ड के आँकड़ों को देखने पर पता चलता है कि मान ने 2,103 कार्यों के विकास की सिफारिश की थी, जिनमें से केवल 1,759 पूरे हो पाए थे। वहीं परियोजनाओं पर उनके द्वारा किए गए खर्च को देखें तो उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर (73.67%) पर सबसे ज्यादा और सबसे कम कृषि (0.64%) खर्च किया था।
भगवंत मान का ब्याज का दावा
भगवंत मान ने फंड मिलने का जो दावा किया है वो करीब-करीब सरकारी आँकड़ों से मेल खाता है। इस थोड़े से अंतर के साथ ही मान ने ये साबित करने की कोशिश की है कि वो इकलौते ऐसे सांसद हैं, जिन्होंने ब्याज का हिसाब देने के साथ ही पिछले सांसद की निधि को आगे बढ़ाने का काम किया है।
जबकि हकीकत ये है कि नियमों के मुताबिक, किसी भी सीट पर पूर्व सांसद जो भी राशि का इस्तेमाल नहीं कर पाता है तो वो नए सांसद को आगे बढ़ाना होता है। ऐसे में सारे ब्याज का भी हिसाब देना होता है।
गौरतलब है कि पंजाब के 15 सांसदों में से 6 सांसदों ने मान की तुलना में कम खर्च किया था। वहीं तीन सांसदों, सुनील कुमार जाखड़ (कॉन्ग्रेस) ने 119.23 फीसदी, विजय सांपला (बीजेपी) ने 100.23% और शेर सिंह घुबाया (कॉन्ग्रेस) ने 100.33 फीसदी की स्वीकृत राशि से अधिक खर्च किया था।
नियमानुसार, अगर जरूरत पड़ती है तो सांसद सरकार से अतिरिक्त फंड की माँग कर सकता है। इसके अलावा ब्याज और आगे की राशि प्रत्येक सांसद के लिए ‘ब्याज के साथ उपलब्ध राशि’ में जोड़ी जाती है।