Thursday, November 21, 2024
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कुमारस्वामी ने UPA सरकार की योजना को बताया बोगस

कल ही कुमारस्वामी के पिता और जेडीएस के अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा का भी ऐसा ही कुछ बयान आया था जिससे पता चलता है कि कर्नाटक में जेडीएस-कॉन्ग्रेस में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।

कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की मदद से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने अपने ही गठबंधन साथी कॉन्ग्रेस की योजना पर निशाना साधा है और उसे फर्जी करार दिया है। RTE यानी शिक्षा के अधिकार योजना को आड़े हाथों लेते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि ये एक ऐसी योजना है जिसकी मदद से निजी विद्यालय काफी बड़े स्तर पर लूट मचा रहे है। सीएम ने ये बातें 84वें कन्नड़ साहित्य सम्मलेन में कही। कुमारस्वामी ने कहा कि RTE को सबको शिक्षा का अधिकार देने के लिए अस्तित्व में लाया गया था लेकिन अब यह निजी विद्यालयों के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने का जरिया बन रहा है और इसकी कीमत सरकारी स्कूलों को चुकानी पड़ रही है।

बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम को अप्रैल 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा पूरे देश में लागू किया गया था। इस अधिनियम के तहत यह लक्ष्य रखा गया था कि पांच साल के भीतर 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों तक बुनियादी शिक्षा पहुंचा जाएगी। हलांकि ये क़ानून अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गया था और 2015 के शुरुआत में जब इसके पांच साल पूरे हुए तब ये खुलासा हुआ कि देश के 92 प्रतिशत विद्यालय इसके मानकों को पूरा नहीं कर रहे थे। उस समय जारी हुई “डाईस रिपोर्ट 2013-14” में कहा गया था कि इस क़ानून के मापदंडों को पूरा करने के लिए करीब 14 लाख और शिक्षकों की आवश्यकता है।

कुमारस्वामी का ताजा बयान इसीलिए चौंकाने वाला है क्योंकि वो अभी कॉन्ग्रेस की मदद से ही कर्नाटक में सरकार चला रहे हैं और मुख्यमंत्री बने हुए हैं और ये कानून भी तभी पारित किया गया था जब केंद्र में कॉन्ग्रेस नीत गठबंधन की सरकार थी। इसके अलावा सीएम ने कर्नाटक के सरकारी विद्यालयों में अंग्रेजी शिक्षा की भी वकालत की और कहा कि वो कन्नड़ को बचाने और उसे बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह संकल्पित हैं लेकिन सरकारी विद्यालयों में अंग्रेजी लाने के लिए वह बाध्य हैं। उन्होने कहा कि ये विद्यार्थियों के भविष्य के लिए किया गया है।

ज्ञात हो कि बीते जुलाई में कर्नाटक सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा के माध्यम को अंग्रेजी रखने का फैसला लिया था। इस का पूरे राज्य भर में विरोध हुआ था और आलोचकों ने जेडीएस सरकार पर मातृभाषा कन्नड़ को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था।

अभी कल ही कुमारस्वामी के पिता और जेडीएस के अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा का भी ऐसा ही कुछ बयान आया था जिससे पता चलता है कि कर्नाटक में जेडीएस-कॉन्ग्रेस में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने कॉन्ग्रेस को नसीहत देते हुए कहा था कि वो क्षेत्रीय दलों से अच्छा बर्ताव करे। उसके इस बयान पर कॉन्ग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी थी और पार्टी के राज्याध्यक्ष दिनेश गुंडू ने राज्य के जेडीएस नेताओं को सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयान न देने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था उन नेताओं को जमीनी हकीकत समझनी चाहिए।

इसके अलावा देवेगौड़ा ने अपने बेटे मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बारे में कहा था कि उन्हें गठबंधन सरकार चलाने के लिए काफी पीड़ा उठानी पड़ रही है। उन्होंने उन्हें ये पीड़ा बर्दाश्त करने की सलाह दी थी। विश्लेषकों का मानना है कि जेडीएस इस साल होने वाले लोकसभा के चुनावों में राज्य की एक तिहाई सीटों पर दावेदारी ठोकना चाहती है जिसके लिए ऐसे बयान देकर कॉन्ग्रेस पर दबाव बनाया जा रहा है।

बता दें कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बटवारे को लेकर अभी तक कॉन्ग्रेस और जेडीएस के बीच कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है और नेताओं ने कहा कि अभी इस बारे में बातचीत चल रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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