कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच गुरुग्राम के सेक्टर 61 में हेमकुंड फाउंडेशन द्वारा स्थापित एक अस्थायी कोविड केयर सेंटर को गोदाम में बदलकर आंदोलनकारी ‘किसानों’ को राशन पहुँचाने के आरोप में वहाँ से हटा दिया गया है। जिस जमीन पर यह अस्थायी कोविड केयर सेंटर था, वो जननायक जनता पार्टी के नेता की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेमकुंट के सामुदायिक विकास निदेशक हरतीरथ सिंह द्वारा कोविड केयर सेंटर स्थापित करने के लिए 20,000 वर्ग फुट जमीन माँगे जाने के बाद इस विवादित एनजीओ को दो महीने के लिए यह जमीन लीज पर दी गई थी। हालाँकि, एनजीओ ने जल्द ही इस इस सेंटर को प्रदर्शनकारी ‘किसानों’ को राशन देने के लिए गोदाम में बदल दिया।
इस मामले मे टेंट हाउस संचालक जगत सिंह ने बताया, “हमने यह जमीन फाउंडेशन को केवल दो महीने के लिए एक अस्थायी कोविड केंद्र के लिए दी थी। कोरोना मामलों की सँख्या में गिरावट के कारण कई दिनों तक इसमें कोई मरीज नहीं था और जमीन मालिक ने उन्हें जमीन खाली करने के लिए कहा। फाउंडेशन के कुछ वॉलंटियर्स ने उनसे कहा कि वे किसानों को विरोध प्रदर्शन में राशन बाँट रहे हैं और हम उन्हें जमीन का उपयोग गोदाम के रूप में नहीं करने दे सकते। हमने चार दिन पहले फाउंडेशन को सूचित किया था लेकिन उन्होंने अभी तक खाली नहीं किया है।”
‘गुंडों’ ने कोरोना केयर सेंटर को नष्ट किया
हटाए जाने के बाद एनजीओ ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया है, “हमें आपकी मदद की जरूरत है! गुड़गाँव में हमारा ऑक्सीजन सेंटर जबरन बर्बाद कर दिया गया है। हमारे सामानों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है। लोगों की मदद करने के लिए हमें गुरुग्राम के सिटी सेंटर या उसके आसपास 20,000 स्क्वॉयर फिट जमीन की जरूरत है।”
🆘🚨We need your help!
— Hemkunt Foundation (@Hemkunt_Fdn) June 3, 2021
Our O2 Centre at Gurgaon was destroyed forcefully today and our belongings were damanged.
To continue helping everyone in need, we need access to 20,000 sq. ft. land at or near the City Centre of Gurgaon.
Please help us spread the word#COVID19India pic.twitter.com/EJBd0ZDxTK
एनजीओ ने दावा किया है कि लोगों के एक समूह ने हमारे सेंटर पर घात लगाकर हमला कर दिया था और लीज के दो महीने की सीमा पार करने को लेकर इसे नष्ट कर दिया। फाउंडेशन ने कथित तौर पर दावा किया है कि उसने इसके मेंटेनेन्स पर ₹3.5 लाख का भुगतान भी किया है। हालाँकि, घटना के बाद बादशाहपुर के एसडीएम सतीश यादव के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम मौके पर पहुँची और स्थिति को शाँत करवाया। लेकिन, कोई केस नहीं दर्ज किया गया। एसडीएम ने बताया कि हम एनजीओ के मेंबर और जमीन के मालिक से बात कर रहे हैं और उन्हें जमीन खाली करने के लिए कुछ और समय देने के लिए कह रहे हैं, क्योंकि फाउंडेशन सामाजिक कार्य कर रहा है।
FCRA के नियमों का उल्लंघन कर रहा हेमकुंट फाउंडेशन?
इस मामले में 9 मई 2021 को ऑपइंडिया ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि कैसे कुछ संगठन और लोग कोरोना रिलीफ के नाम पर एफसीआरए कानूनों को तोड़ सकते हैं।
भारत सरकार के पास भारत में रजिस्टर्ड एनजीओ की एक डायरेक्टरी है। अधिकांश गैर सरकारी संगठनों ने सूची में अपने नाम शामिल करा लिए हैं क्योंकि यह एफसीआरए के लिए आवेदन करने की शर्तों में से एक है। हमने DARPAN पर हेमकुंट को काफी सर्च किया, लेकिन वह कहीं भी नहीं मिला। उसमें हमें हेमकुंट नाम का एक ही एनजीओ मिला, जो पंजाब में रजिस्टर्ड था। हम यह कह सकते हैं कि शायद फाउंडेशन ने DARPAN पर अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया हो, लेकिन यह संस्था बीते 10 साल से सामाजिक कार्य कर रही है। लेकिन फिर भी उन्होंने DARPAN पर रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं कराया यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
हमें रिसर्च में पता चला है कि एनजीओ को केटो, मिलाप और डोनेटकार्ट जैसी क्राउडफंडिंग वेबसाइटों के जरिए विदेशी डोनर्स ने फंडिंग की है। खास बात यह है कि हेमकुंट फाउंडेशन ही है, जो खालसा एड के बाद दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों के लिए काम करने वाले संगठनों में से एक था। प्रदर्शन करने वाले किसानों के लिए टेंट सिटी बनाने का काम इन्होंने ही किया था। हालाँकि, अभी यह पता नहीं चल सका है कि एनजीओ कोरोना राहत कार्य के नाम पर इकट्ठा धनराशि को अपने दूसरे प्रोजेक्ट पर तो नहीं लगा रहा है।