हिमाचल प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार अब लोगों पर टॉयलेट टैक्स भी लगाएगी। आर्थिक संकट में फंसे राज्य के राजस्व बढ़ाने को राज्य की सुक्खू सरकार ने यह फार्मूला निकाला है। राज्य सरकार शहरी इलाकों में हर घर से अब शौचालय पर टैक्स वसूलने जा रही है। इसकी दरें भी जारी कर दी गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग ने हाल ही में फैसला लिया है कि अब राज्य के शहरी इलाकों में हर घर से सीवर टैक्स लिया जाएगा। जल शक्ति विभाग घरों में लगी प्रत्येक टॉयलेट सीट पर ₹25/माह का टैक्स लगाएगा। यानी एक घर में जितने शौचालय बने होंगे, उनसे उतना अधिक टैक्स वसूला जाएगा।
हिमाचल प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार का कहना है कि इससे उसके राजस्व में वृद्धि होगी। इसके अलावा पानी की दरों में भी कॉन्ग्रेस सरकार ने बदलाव किए हैं। उसने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की मुफ्त आपूर्ति भी बंद कर दी है। अब ग्रामीण इलाकों में पानी लेने वालों को हर ₹100/माह देना होगा।
इसके अलावा शहरों में भी पानी की दरों में बदलाव किया गया है। सुक्खू सरकार ने गैर घरेलू पानी कनेक्शन के लिए और भी अधिक पानी की दरें रखी हैं। पानी की दरों के अलावा मेंटेनेंस चार्ज भी लगाया जाएगा। इन सबके जरिए सुक्खू सरकार अपना खजाना भरेगी।
हिमाचल प्रदेश में शौचालय पर टैक्स से पहले भी सुक्खू सरकार कमाई के जरिए बढ़ाने के लिए जनता पर बोझ बढ़ाती रही है। हाल ही में उसने राज्य में वाहनों की बिक्री पर ग्रीन टैक्स लगाया था। यह टैक्स वाहनों की खरीद के साथ लगेगा।
जहाँ एक ओर सरकार लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ाती जा रही है, वहीं दूसरी ओर उनको दिए जाने वाले फायदे भी घटाए जा रहे हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश में आयकर भरने वालों को दी जाने वाली 125 यूनिट मुफ्त बिजली की योजना सुक्खू सरकार ने बंद कर दी थी। अब उसने उद्योगों को दी जाने वाली ₹1 की सब्सिडी भी बंद कर दिया है।
सुक्खू सरकार के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की आर्थिक हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि वह सितम्बर माह में कर्मचारियों को तनख्वाह और पेंशन तक नहीं समय से दे पाया था। सुक्खू सरकार राज्य में कई रेवड़ी योजनाओं का ऐलान करके सत्ता में आई थी। इन पर भी काम नहीं हो पाया है।
आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया की है स्थिति
हिमाचल की बदहाल आर्थिक स्थिति इसके 2024-25 के बजट से समझी जा सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। इस बजट में भी सरकार का राजकोषीय घाटा (सरकार की आय और खर्चे के बीच का अंतर, जिसे कर्ज लेकर पूरा किया जाता है) ₹10,784 करोड़ है।
इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्जा चुकाने और राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और तनख्वाह देने में ही चला जाएगा। इस बजट में से ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने, ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में करेगी। यानी पुराने कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा।
इसके अलावा सुक्खू सरकार तनख्वाह और पेंशन पर ₹27,208 करोड़ खर्च करेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो ₹38,957 का खर्च तो केवल कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर ही हो आएगा। यह कुल बजट का लगभग 66% है। अगर नए कर्ज को हटा दें तो यह हिमाचल के कुल बजट का 80% तक पहुँच जाता है। यानी राज्य को बाकी खर्चे करने की स्वतंत्रता ही नहीं है।
हिमाचल प्रदेश 2024-25 में लगभग ₹1200 करोड़ सब्सिडी पर भी खर्च करने वाला है। यह धनराशि सामान्य तौर पर छोटी लग सकती है, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे हिमाचल के लिए यह भी भारी पड़ रही है। इस सब्सिडी में सबसे बड़ा खर्चा बिजली सब्सिडी का है।