हिमाचल प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार ने राज्य में मुफ्त बिजली योजना बंद करने का निर्णय लिया है। कॉन्ग्रेस सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य में आयकर भरने वालों को मुफ्त बिजली नहीं मिलेगी। यह निर्णय राज्य की आर्थिक हालत पतली होने के कारण लिया गया है।
गुरुवार (12 जुलाई, 2024) को शिमला में हुई सुक्खू सरकार की कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया है। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि राज्य के आयकर दाता परिवारों को मासिक तौर पर 125 यूनिट मुफ्त बिजली का लाभ नहीं मिलेगा। अब तक इन परिवारों को भी 125 यूनिट मुफ्त बिजली मिला करती थी।
इस योजना को केवल आयकर भरने वाले परिवारों के लिए ही हटाया गया है। आयकर ना भरने वाले परिवारों और गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के लिए महीने की 125 यूनिट मुफ्त बिजली मिलती रहेगी।
कॉन्ग्रेस सरकार ने इस निर्णय के पीछे राज्य की आर्थिक हालत बताई है। कॉन्ग्रेस सरकार ने कहा है कि राज्य की आर्थिक हालत खराब है और बिजली कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए भी पैसे नहीं हैं, ऐसे में इन परिवारों के लिए सब्सिडी हटा दी गई है।
हिमाचल प्रदेश के सभी परिवारों को जयराम ठाकुर की भाजपा सरकार ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया था। उन्होंने राज्य के 14 लाख परिवारों को मुफ्त बिजली दी थी। अब कॉन्ग्रेस सरकार कह रही है कि यह सब्सिडी उसके लिए बोझ है।
कॉन्ग्रेस सरकार जहाँ अब मुफ्त बिजली बंद करने जा रही है, तो वहीं वह इससे पहले राज्य 300 यूनिट मुफ्त बिजली वादा कर रही थी। कॉन्ग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनाव में राज्य में गारंटी दी थी कि वह सभी परिवारों को 300 यूनिट मुफ्त देगी। यह वादा अभी तक पूरा नहीं कर पाई है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश से पहले कर्नाटक में गारंटी स्कीम लाई गईं थी। इनमें भी मुफ्त बिजली, मुफ्त राशन, महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा और बेरोजगारी भत्ता समेत महिलाओं को नकदी हस्तांतरण योजना शामिल थी। इन गारंटियों के कारण अब राज्य की आर्थिक हालत पर असर पड़ रहा है, राज्य के अधिकारी भी मान रहे हैं कि इसके कारण विकास कार्य नहीं हो रहे।
कॉन्ग्रेस सरकार ने लिया ₹19,000 करोड़ कर्ज
बिजली सब्सिडी बंद करने के बीच कॉन्ग्रेस सरकार का धुआंधार तरीके से कर्ज लेने का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में ₹88,000 करोड़ से भी अधिक का कर्ज है। कॉन्ग्रेस सरकार बीते डेढ़ वर्ष में ही लगभग ₹19,000 करोड़ का कर्ज राज्य पर चढ़ा दिया है।
राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद माना है कि उनके राज्य को कर्ज चुकाने के लिए ही नया कर्ज लेना पड़ रहा है। राज्य का कर्ज उसकी GDP का 40% से अधिक हो चुका है। उसका राजकोषीय घाटा भी GDP के 5% के ऊपर है। जबकि नियमों के मुताबिक़, किसी भी राज्य का कर्ज GDP का 20% जबकि राजकोषीय घाटा 3% से अधिक नहीं होना चाहिए।