तमिलनाडु (Tamil Nadu) के एमके स्टालिन सरकार (MK Stalin Government) में उच्च शिक्षा मंत्री पोनमुडी (Higher Education Minister Ponmudy) ने हिन्दी भाषा (Hindi Language) और उसे बोलने वालों को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदी बोलने वाले लोग पानीपुरी बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाषा के रूप में हिन्दी की तुलना में अंग्रेजी अधिक मूल्यवान है। हिन्दी को वैकल्पिक होना चाहिए न कि अनिवार्य।
हिंदी को लेकर छिड़े विवाद के बीच पोनमुडी ने कोयंबटूर के भारथिअर विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में बोलते हुए शुक्रवार (13 मई 2022) को उन्होंने कहा कि भाषा के रूप में अंग्रेजी हिन्दी के अधिक मूल्यवान है। उन्होंने कहा कि हिंदी बोलने वाले लोग छोटी-मोटी नौकरी में लगे हुए हैं। उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि हिंदी बोलने वाले लोग कोयंबटूर में पानीपुरी बेच रहे हैं।
अंग्रेजी को अंतरराष्ट्रीय भाषा बताते हुए पोनमुडी ने कहा, “बहुत से लोग कहते हैं कि अगर आप हिंदी पढ़ते हैं तो आपको नौकरी मिलेगी। क्या ऐसा है? आप कोयंबटूर या कहीं जाकर देख सकते हैं कि जो पानीपुरी बेच रहा है वे सभी हिंदी बोलते हैं?” उन्होंने कहा कि तमिलनाडु देश में शिक्षा के मामले में सबसे आगे है और तमिल छात्र किसी भी भाषा को सीखने के लिए तैयार हैं, लेकिन हिंदी वैकल्पिक भाषा होनी चाहिए।
पोनमुडी ने आगे कहा, “दूसरी भाषा की जरूरत क्या है?” अंग्रेजी और हिंदी की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, “एक व्यक्ति दो दरवाजे बनाता है। एक बड़ा दरवाजा और दूसरा छोटा। पूछने पर वह कहता है कि बड़ा दरवाजा बिल्ली के लिए है और छोटा एक चूहे के लिए है… लेकिन सवाल है- जब बिल्ली के लिए पहले से ही दरवाजा बना हुआ है, जिससे चूहा भी जा सकता है, तो दूसरा क्यों…?”
पोनमुडी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्वपूर्ण पहलुओं को लागू करेगी और राज्य सरकार केवल द्विभाषा प्रणाली लागू करने के लिए दृढ़संकल्प है। हिंदी को लेकर उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदी क्यों सीखनी चाहिए, जबकि अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है और उसे पहले से ही सिखाई जा रही है।
बता दें कि पोनमुडी के बयान मुख्यमंत्री द्वारा एमके स्टालिन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को लिखे पत्र के बाद आया है। सीएम स्टालिन ने अपने पत्र में माँग की है कि तमिल को मद्रास उच्च न्यायालय की आधिकारिक भाषा बनाया जाए। उन्होंने राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालयों के मामलों का हवाला दिया, जहाँ अंग्रेजी के अलावा हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अधिकृत किया गया है।