नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को तैयार और लागू करने के लिए गृह मंत्रालय को सातवीं बार विस्तार मिल गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंत्रालय की ओर से इस संबंध में संसदीय समितियों को संपर्क किया गया था। इसी क्रम में राज्यसभा ने नियम बनाने और उसे लागू करवाने के लिए 6 महीने का और समय मिला। लेकिन लोकसभा से मंजूरी मिलना फिलहाल बाकी है।
बता दें कि 11 दिसंबर 2019 को नागरिक संशोधन विधेयक संसद में पास हुआ था। इसके अगले दिन राष्ट्रपति से इसे सहमति मिली और बाद में गृह मंत्रालय के जरिए अधिसूचित किया गया। इस एक्ट के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देने की बात करता है।
Rajya Sabha committee accepted Centre's request for 6 more months to frame rules under the Citizenship Amendment Act (CAA) for seventh time in a row.
— IANS (@ians_india) January 8, 2023
Ministry of Home Affairs said more time was needed to frame rules of the Act, without which it could not be implemented, Sources. pic.twitter.com/0n8SxMaxEU
फिलहाल यह कानून लागू नहीं हुआ है। साल 2019 में जब ये संसद में पास हुआ तब एक निश्चित समुदाय द्वारा इसका जगह-जगह विरोध हुआ। इसके नाम पर सामान्य लोगों को भड़काया और समझाया गया कि कैसे ये मुसलमानों के खिलाफ है। नतीजतन, लोग सड़कों पर आ गए, प्रदर्शन होने लगा। धीरे-धीरे प्रदर्शन इतना हिंसक हुआ कि उत्तरपूर्वी दिल्ली में दंगे तक हुए। बाद में कोरोना आया और सरकार उसमें जुट गई।
पिछले साल नवबर 2022 में एक कार्यक्रम के वक्त गृहमंत्री अमित शाह ने बताया भी था कि नियम बनाने में केवल कोविड के कारण देरी हुई है, जो लोग सोचते है कि ये लागू नहीं होगा, वो गलत सोचते हैं।
यहाँ मालूम हो कि किसी भी कानून को राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद उसके नियम 6 महीने के भीतर बनाए जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तब संसदीय समितियों से विस्तार की माँग की जाती है। चूँकि हालातों के कारण ऐसा नहीं हुआ। इसलिए गृह मंत्रालय को विस्तार मिला। सबसे पहला विस्तार जून 2020 में दिया गया था। अब इस मामले में गृह मंत्रालय को फिर से समय मिला है। इससे पहले राज्यसभा और लोकसभा में अधीनस्थ विधान पर संसदीय समितियों ने गृह मंत्रालय को 31 दिसंबर 2022 और 9 जनवरी 2023 तक विस्तार दिया था।