Saturday, November 16, 2024
Homeराजनीतिहनी ट्रैप पर मुसीबत में कमलनाथ सरकार: 9 दिन में 3 बार बदले SIT...

हनी ट्रैप पर मुसीबत में कमलनाथ सरकार: 9 दिन में 3 बार बदले SIT चीफ, हाई कोर्ट ने मॉंगा जवाब

याचिका में कहा गया है कि इस मामले की जॉंच प्रभावित करने की कोशिश हो रही है। अदालत ने सरकार से 21 अक्टूबर तक लिखित में यह बताने को कहा है कि जॉंच दल के मुखिया को बार-बार क्यों बदला गया।

हनी ट्रैप मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने विशेष जाँच दल (एसआईटी) के प्रमुख को बार-बार बदलने पर राज्य की कमलनाथ सरकार से जवाब माँगा है। हाई कोर्ट ने पूछा कि मामले की जाँच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख और सदस्यों को 10 से 11 दिन के भीतर ही क्यों बदल दिया गया।

बता दें कि हनी ट्रैप मामले की जाँच के लिए 23 सितंबर को एसआईटी का गठन किया गया था। सीआईडी के
आईजी डी. श्रीनिवास को इसका प्रमुख बनाया गया था। लेकिन, अगले ही दिन एसआईटी प्रमुख बदल दिया गया। श्रीनिवास की जगह संजीव शमी को कमान दी गई। इसके बाद 1 अक्टूबर को संजीव शमी को हटाकर राजेंद्र कुमार को एसआईटी का मुखिया बनाया गया। इस तरह विशेष जाँच दाल के गठन के 9 दिन के भीतर ही 3 बार उसके मुखिया को राज्य सरकार ने बदल दिया।

कमलनाथ सरकार के इस फैसले पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। अब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के गृह विभाग के सचिव को इस पूरे मामले की जाँच रिपोर्ट और सदस्यों को बदलने का कारण लिखित में 21 अक्टूबर को पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले पर 21 अक्टूबर को ही अगली सुनवाई होगी। साथ में कोर्ट ने यह भी तय किया कि भविष्य में इस मामले में दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ होगी।

ख़बर के अनुसार, हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने सरकार से यह सवाल हनी ट्रैप मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए पूछा। दिग्विजय सिंह भंडारी ने वरिष्ठ वकील डॉ. मनोहरलाल दलाल और वकील लोकेंद्र जोशी के माध्यम से याचिका दायर की है।

इस याचिका के अनुसार, हनी ट्रैप मामला जनहित से जुड़ा मामला है। सरकार जाँच में लापरवाही बरत रही है। एसआईटी का गठन तो कर दिया गया, लेकिन इसके प्रमुख को बार-बार बदला जा रहा है। अब तक तीन बार एसआईटी के प्रमुख को बदला गया है। इससे यह आशंका उत्पन्न हो रही है कि इस मामले में जाँच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।

याचिका में यह माँग भी की गई है कि एसआईटी को आदेश दिया जाए कि वह इस मामले में ज़ब्त मोबाइल, लैपटॉप, वीडियो, सीडी आदि की सूची कोर्ट में पेश करे, क्योंकि इनके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है और इन्हें नष्ट करने का प्रयास भी हो सकता है। साथ ही याचिका में इस पूरे मामले की जाँच कोर्ट की निगरानी में कराने की माँग भी की गई है। यह भी कहा है कि जाँच कमेटी में प्रदेश के बाहर के किसी ऐसे अधिकारी को नियुक्त किया जाए जो डीआईजी या इससे ऊपर की रैंक का हो। इस मामले की सीबीआई जाँच की माँग भी की गई है।

जस्टिस एससी शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि वो बताए आखिर किस आधार पर और किन कारणों से एसआईटी प्रमुख को बदला जा रहा है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिनके पति का हुआ निधन, उनको कहा – मुस्लिम से निकाह करो, धर्मांतरण के लिए प्रोफेसर ने ही दी रेप की धमकी: जामिया में...

'कॉल फॉर जस्टिस' की रिपोर्ट में भेदभाव से जुड़े इन 27 मामलों में कई घटनाएँ गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण या धर्मांतरण के लिए डाले गए दबाव से ही जुड़े हैं।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -