पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में पहली बार अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक अतिवाद के ख़िलाफ़ चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “मैं देख रही हूँ कि यहाँ अल्पसंख्यकों में कुछ अतिवादी हैं, जिनकी जमीन हैदराबाद से जुड़ी है। ऐसे लोगों की बिलकुल भी मत सुनिए।” हालाँकि ममता बनर्जी ने अपना ये बयान बिना किसी पार्टी का नाम लिए दिया। लेकिन, राज्य में राजनैतिक चहल-पहल को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका इशारा असद्दुदीन ओवैसी के इस्लामिक संगठन ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुसल्लिमीन (AIMIM) की ओर था।
इस बैठक के बाद बंगाल मुख्यमंत्री ने कूचबिहार के मदन मोहन मंदिर की ओर प्रस्थान किया और राजबाड़ी मैदान में रासमेला जाने से पहले वहाँ पूजा-अर्चना की। यहाँ बता दें कि इस बार होने वाले चुनावों में कूचबिहार जिला ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लिए बहुत चिंता का विषय है। क्योंकि 1951 से यहाँ पर यहाँ की जनता या तो कॉन्ग्रेस को चुनती आई है, या फिर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्ल़ॉक को। लेकिन 2014 में बड़ी मशक्कत से ममता बनर्जी ने इस जगह पर अपनी पैठ बनाकर जीत हासिल की थी। मगर, 2019 में भाजपा ने उनसे ये सीट छीन ली।इसलिए आगामी विधानसभा चुनावों में कूचबिहार क्षेत्र अगर ममता बनर्जी के हाथों से जाता है, तो ये उनके लिए एक बड़ी हार साबित हो सकती हैं। इसी कारण वे अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए उनके बीच पहुँची।
In a first, Mamata warns about ‘minority extremism’ from those who have base in Hyderabad: Read whyhttps://t.co/CD4kbCdOaI
— OpIndia.com (@OpIndia_com) November 19, 2019
कूचबिहार में उन्होंने कहा, “मैं अपील करती हूँ टीएमसी नेताओं से कि भाजपा के ख़िलाफ़ चुनौती को स्वीकारें। हमारे कार्यकर्ता हमारी पार्टी की पूँजी हैं। मैं उन्हें नेताओं के नीचे काम करने को नहीं कहूँगी। वे उस झंडे के लिए काम करें जिसे उन्होंने पकड़ा है। अब पार्टी नेताओं को एक दूसरे के ख़िलाफ़ टिप्पणी करना समाप्त कर देना चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा रहा, तो उनकी करनी का भुगतान पार्टी को करना पड़ेगा। मैं खुश हूँ कि तृणमूल विधायक, पार्षद एक टीम की तरह काम कर रहे हैं। लेकिन अगर ये पहले ऐसे रहते तो हम कभी सीट नहीं हारते।“
इस बैठक में हैरानी की बात ये हुई कि ममता बनर्जी ने नागरिक संशोधन बिल पर बात न करके मुस्लिम, बंगाली हिंदू और गोरखाओं पर बात की। जिसके संभवत: दो उद्देश्य हैं- एक हिंदुओं में भाजपा के प्रभाव को कम करना और दूसरा AIMIM द्वारा उनके मुस्लिम वोट बैंक को बाँटे जाने की कोशिश का विरोध करना।
गौरतलब है कि बंगाल में हिंदुओं और मुस्लिमों का वोट धीरे-धीरे ममता बनर्जी के हाथ से फिसलता जा रहा है। हिंदुओं के पास भाजपा का विकल्प है, जबकि मुस्लिमों के सामने ओवैसी की पार्टी आ गई हैं। इसके अलावा अभी बीते दिनों की घटनाओं को याद किया जाए तो समझ आएगा कि कैसे एक बड़ी तादाद में हिंदुओं ने ममता बनर्जी का ‘जय श्रीराम’ नारा लगाने वाले मामले में विरोध किया था। वहीं, बंगाल के मुस्लिमों में अपनी पैठ जमा रही AIMIM की ओर से भी चेतावनी दी गई थी,”ये सच है कि तादाद में कम हैं, लेकिन हमें छूना मत। हम ATOM BOMB हैं। दीदी! हमें आपकी दोस्ती भी कुबूल और आपकी दुश्मनी भी। आपको तय करना है कि आप हमें दोस्त समझते हो या फिर दुश्मन।”
Alhamdulillah: #AIMIM National Spokesperson Janab @syedasimwaqar Attended a Successfull #PublicMeeting at Dharamtalla #WestBengal @asadowaisi pic.twitter.com/RqbFE8jkQw
— Shaik Hussam (@shaik_hussam) July 29, 2019