5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस के बुरे प्रदर्शन के बाद कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की 10 मई को हुई बैठक में हार का ठीकरा गठबंधन पार्टियों पर फोड़ा गया। CWC की बैठक में कॉन्ग्रेस के प्रभारी जितिन प्रसाद ने बंगाल की हार के लिए वहाँ ISF के साथ हुए गठबंधन को जिम्मेदार माना, जबकि असम में हुई हार के लिए दिग्विजय सिंह समेत पार्टी नेताओं ने बदरुद्दीन अजमल के साथ जुड़ने पर सवाल उठाया।
बैठक में पार्टी के कई नेताओं ने विभिन्न प्रदेशों में आगे से गठबंधन का निर्णय लेने के लिए केंद्रीय समिति बनाने का सुझाव दिया। कथित तौर पर, बैठक में ऐसे कई सदस्य थे जिन्होंने दोनों राज्यों- बंगाल और असम में हुए पार्टी गठबंधन पर सवाल खड़े किए। बंगाल में सबने पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी और लेफ्ट के साथ जुड़ने को कॉन्ग्रेस की हार का कारण माना।
वहीं असम में AIUDF के साथ जुड़ने को गलत समझा गया। बैठक में कहा गया कि असम और पश्चिम बंगाल में जहाँ AIUDF और ISF के साथ गठबंधन से भाजपा को ध्रुवीकरण करने का मौका मिला, वहीं केरल में करारी शिकस्त का कारण ओवर कॉन्फिडेंस था।
सबकी बातें सुनने के बाद कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने चुनावी राज्यों में हार के लिए एक कमेटी के गठन का फैसला किया। ये कमेटी चुनावी राज्यों में जाएगी और पार्टी के कार्यकर्ता, उम्मीदवारों से लेकर राज्य के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत कर रिपोर्ट तैयार करेगी और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को सौंपेगी।
सोनिया गाँधी ने बैठक में कहा कि यदि पार्टी वास्तविक सच्चाई का सामना नहीं करती है तो सही पाठ नहीं सीख पाएगी। वह बोलीं, “हमें ये समझना होगा कि आखिर केरल और असम में हम मौजूदा सरकारों को हटाने में क्यों विफल हुए और क्यों बंगाल में हमारे हाथ कुछ नहीं आया। ये हमारे लिए असहज करने वाला सबक है। लेकिन अगर हम सच्चाई का सामना नहीं करेंगे, तथ्य नहीं देखेंगे तो सही सीख नहीं ले पाएँगे… ये परिणाम बताते हैं कि हमें अपनी चीजों को सही करना होगा।”
बैठक में 5 राज्यों के पार्टी प्रभारी मौजूद रहे। बंगाल से जितिन प्रसाद, असम के जीतेंद्र प्रसाद और केरल के तारीक अनवर, तमिलनाडू और पुडुचेरी के लिए दिनेश गुड्डू ने अपनी अपनी बात रखी। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में दिग्विजय सिंह ने भी असम में AIUDF के साथ गठबंधन पर सवाल उठाए और याद दिलाया कि वह हमेशा से AIUDF के साथ गठबंधन का विरोध करते रहे।
इस दौरान गुलान नबी आजाद ने सिंह का समर्थन किया और बंगाल में ISF के साथ गठबंधन पर आपत्ति जाहिर की। वहीं पार्टी नेता आनंद शर्मा ने कहा CWC को हर प्रोग्रेसिव, लोकतांत्रिक, गैर भाजपाई पार्टियों को एक साथ आने का आह्वान करना चाहिए और आत्मनिरीक्षण को पार्टी के विरुद्ध नहीं मानना चाहिए।
बता दें कि 10 मई को हुई CWC की बैठक में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर भी बात हुई। कुछ लोगों ने दोबारा से राहुल गाँधी को ही कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात कही। वहीं सोनिया गाँधी ने कहा, ‘‘जब हम गत 22 जनवरी को मिले थे तो हमने फैसला किया था कि कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव जून के मध्य तक पूरा हो जाएगा। चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने चुनाव कार्यक्रम तय किया है वेणुगोपाल कोविड 19 और चुनाव नतीजों पर चर्चा के बाद इसे पढ़ेंगे।”