देश के 14वें उप-राष्ट्रपति के तौर पर एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को चुन लिया गया है। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 वोटो से हराकर इस पद पर जीत हासिल की। उन्हें 725 में से कुल 528 वोट मिले हैं, जबकि अल्वा के हिस्से केवल 182 वोट ही पड़े।
Delhi | NDA candidate Jagdeep Dhankar won by 346 votes as he bagged 528 of the total 725 votes that were cast. While 15 were termed invalid, Opposition candidate Margret Alva received 182 votes in the election: LS Gen-Secy Utpal K Singh pic.twitter.com/ZNHcbmftAU
— ANI (@ANI) August 6, 2022
चुनाव के नतीजे आने से पहले एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ की जीत तय मानी जा रही थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि दोनों सदनों में मौजूद आँकड़ों के अनुसार बहुमत के लिए 388 वोट की जरूरत होती है और इस बार अकेले भाजपा के पास ही दोनों सदनों के सदस्यों को मिलाकर संख्या 390 (लोकसभा में 303 सांसद और राज्यसभा में 93 सांसद) के ऊपर थी।
इसके अलावा उन्हें तेदेपा, बीजद, बसपा, अन्नाद्रमुक व शिवसेना जैसे दलों ने भी समर्थन मिल गया था। इस तरह एनडीए अपने प्रत्याशी के लिए 528 वोट जुटाने में सफल रही। वहीं टीएमसी के चुनाव में वोटिंग न करने से मार्गरेट अल्वा को मिले वोट और कम हो गए।
कौन हैं जगदीप धनखड़?
बता दें कि बीजेपी के जाट नेता जगदीप धनखड़ मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। उनका जन्म झुंझुनू जिले के किठाना गाँव में 1951 में साधारण से किसान परिवार में हुआ था। राजस्थान यूनिवर्सिटी से लॉ करने के बाद उनका सेलेक्शन आईआईटी, एनडीए और आईएएस के लिए भी हुआ था। हालाँकि, उन्होंने इन सभी को ठोकर मारकर वकालत करना शुरू किया। धनखड़ राजस्थान बार काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे।
Prayers are underway at Jagdeep Dhankar’s village in Rajasthan’s Jhunjhunu for his victory. #ITVideo pic.twitter.com/NGtqIgzJgG
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इसके बाद वे जनता दल से जुड़ गए। वर्ष 1989 में वो झुंझुनू से चुनकर सासंद बने। यहीं नहीं, 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में वो केंद्रीय मंत्री के पद पर भी रहे। 1991 में जनता दल ने उनका टिकट काट दिया तो वो कॉन्ग्रेस में चले गए। 1993 में अजमेर के किशनगढ़ से चुनाव लड़कर वो विधायक बने।
हालाँकि, 2003 में अचानक से उन्हें कॉन्ग्रेस से नफरत सी होने लगी और वो फिर से बीजेपी में शामिल हो गए। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों में से एक धनखड़ को राजस्थान में जाट आरक्षण दिलवाने के लिए जाना जाता है। धनखड़ को 30 जुलाई साल 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। अब वह देश के नए उप-राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं।