Monday, November 18, 2024
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फारूक अब्दुल्ला पर ‘क्रिकेट घोटाले में’ ED का बड़ा एक्शन: ₹11.86 करोड़ की संपत्ति जब्त

प्रवर्तन निदेशालय ने फारूक अब्दुल्ला की जो संपत्तियाँ जब्त की है, उसमें दो घर, तीन प्लॉट और एक अन्य प्रॉपर्टी भी शामिल है। इसमें एक घर गुपकार रोड, दूसरा तहसील कटिपोरा, तन्मर्ग, और तीसरा भटंडी जम्मू में बताया जा रहा है। इसके अलावा ईडी ने.....

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रवर्तन निदेशालय ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) स्कैम केस में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले के तहत फारूक अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति जब्त कर ली है।

जानकारी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने फारूक अब्दुल्ला की जो संपत्तियाँ जब्त की है, उसमें दो घर, तीन प्लॉट और एक अन्य प्रॉपर्टी भी शामिल है। इसमें एक घर गुपकार रोड, दूसरा तहसील कटिपोरा, तन्मर्ग, और तीसरा भटंडी जम्मू में बताया जा रहा है। इसके अलावा ईडी ने श्रीनगर के पॉश रेजिडेंसी रोड इलाके में फारूक अब्दुल्ला की व्यावसायिक इमारतों पर भी कार्रवाई की है।

दरअसल, यह मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के 43.69 करोड़ के घोटाले से जुड़ा हुआ है। साल 2005-06 से 2011-12 तक J&KCA को BCCI से 94.06 करोड़ का फंड अलॉट हुआ था, जो कि J&K में क्रिकेट के डेवलेपमेंट के लिए था। लेकिन आरोप है कि J&K के पूर्व मुख्यमंत्री और J&KCA के तत्कालीन अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला ने अहसान अहमद मिर्जा और मीर मंजूर गजनफर के साथ मिल कर 43.69 करोड़ रुपए का घोटाला किया और अपने बैंक खातों में इन पैसों को जमा कराया या कैश निकाल लिया।

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में हुए घोटालों को लेकर जाँच सीबीआई (CBI) को सौंप दी थी, जिसमें फारूख अब्दुल्ला समेत खजांची एहसान एहमद मिर्जा और मीर मंजूर गजनफर समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज कर कर जाँच शुरू की थी और उसी के आधार पर ईडी ने मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

ईडी ने जाँच में पाया कि 2004 में JKCA के खजांची मुख्तारकांत ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद फारुख अब्दुल्ला ने एहसान अहमद मिर्जा को बिना इलेक्शन करवाए कोषाध्यक्ष बना दिया। 2006 में जब JKCA के इलेक्शन हुए तो मीर मंजूर गजनफर JKCA के खजांची बने, लेकिन कोर्ट के स्टे के कारण एहसान अहमद मिर्जा ही चार्ज संभाले रहे। जब कोर्ट का स्टे हट गया तो मीर मंजूर गजनफर को खजांची का चार्ज देने के बजाय फारूख अब्दुल्ला ने एक फाइनेंस कमेटी बना दी और दोनों को JKCA के खाते चलाने की मंजूरी दे दी।

आरोप है कि इसके बाद दोनों ने J&K बैंक में संयुक्त नाम से अपने खाते खुलवा लिए और जेकेसीए के डेवलेपमेंट के लिए आए पैसों को अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। 2009 में हुए JKCA के चुनावों में एहसान अहमद मिर्जा खजांची बने और 2011 में हुए चुनावों में जनरल सेक्रेटरी और फारुख अब्दूल्ला अध्यक्ष बने। आरोप है कि 2004 से 2012 तक लगातार JKCA के खातों से पैसे निजी खातों में जाते रहे।

सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के कोष में गबन के मामले में डा. फारूक अब्दुल्ला समेत जेकेसीए के तत्कालीन महासचिव मोहम्मद सलीम खान, तत्कालीन कोषाध्यक्ष अहमसान अहमद मिर्जा और जम्मू-कश्मीर बैंक के एक कर्मचारी बशीर अहमद पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए श्रीनगर की एक अदालत में सितंबर महीने में एक आरोप पत्र भी दाखिल किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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