कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को बीच में छोड़कर विदेश निकल गए हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी ने प्रचारित किया कि उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने लेक्चर देने के लिए बुलाया है। ये सारा दावा फर्जी निकला है, ऑपइंडिया के पास इस बात के एक्सक्लूसिव सबूत हैं।
दरअसल, राहुल गाँधी की जिस यात्रा को कैंब्रिज विश्वविद्यालय की यात्रा बताया जा रहा है, वो दरअसल एक कॉलेज की यात्रा है। यही नहीं, उस कॉलेज में भी राहुल गाँधी ने जो ‘भाषण’ यानी लेक्चर दिया है, उससे सुनने वाले भी मुट्ठी भर लोग थे। और इस भाषण को देने के लिए ‘व्यवस्था’ करनी पड़ी, क्योंकि इस जगह को पैसे देकर कोई भी बुक कर सकता है।
ऑपइंडिया ये बात यूँ ही नहीं कह रहा है, बल्कि खुद कैंब्रिज विश्वविद्यालय के उस जीसस कॉलेज ने ही ये साफ कर दिया है कि राहुल गाँधी की विजिट ‘बुकिंग’ के बाद हुई थी। उसका कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और जीसस कॉलेज से कोई लेना देना नहीं है। न ही कॉलेज और न ही विश्वविद्यालय की उसमें कोई सहभागिता रही, न ही वो इस कार्यक्रम के आयोजक रहे।
बता दें कि 21 फरवरी 2024 को कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ये जानकारी दी थी कि राहुल गाँधी अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को बीच में रोककर 26 फरवरी से 1 मार्च के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय जा रहे हैं। जहाँ वो ‘लंबे समय से प्रस्तावित’ दो विशेष लेक्चर देंगे। ये लेक्चर 27 फरवरी और 28 फरवरी को होंगे। इसके लिए वो नई दिल्ली में हो रही पार्टी की बैठकों तक में शामिल नहीं हो पाएँगे, क्योंकि ये लेक्चर बहुत अहम हैं।
इसके बाद कॉन्ग्रेस से जुड़े कार्यकर्ताओं, नेताओं ने राहुल गाँधी की ‘तथाकथित कैंब्रिज विश्वविद्यालय’ में दिए गए लेक्चर को शेयर किया। किसी ने उन्हें सादगी की मूर्ति बताया, तो किसी ने कुछ। चूँकि कॉन्ग्रेस का दावा है कि ‘लंबे समय’ ये लेक्चर तय था, ऐसे में कॉन्ग्रेसियों ने माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छूटी, लेकिन अब इसकी असलियत सामने आ चुकी है, क्योंकि राहुल गाँधी को बुलाना तो दूर, कैंब्रिज ने पूछा तक नहीं। न ही कैंब्रिज विश्वविद्यालय और न ही जीसस कॉलेज की तरफ से इस कार्यक्रम की सूचना दी गई है और न ही आधिकारिक कार्यक्रमों में इसे लिस्ट किया गया है।
ऑपइंडिया ने पूछे सवाल, जीसस कॉलेज ने दिया जवाब, ये है कॉन्ग्रेस के फर्जीवाड़े का सबूत
कॉन्ग्रेस पार्टी ने कैंब्रिज के जिस ‘लेक्चर’ का भौकाल बनाया था, जब उसके बारे में सही सूचनाएँ नहीं मिली, तो ऑपइंडिया ने जीसस कॉलेज के प्रशासन से संपर्क किया और 5 सवाल पूछे:
1-कॉन्फ्रेंस रूम कब और कितने समय के लिए बुक किया गया था?
2-कार्यक्रम के आयोजक कौन थे?
3-क्या कॉलेज प्रशासन ने राहुल गाँधी को कार्यक्रम में बोलने के लिए आमंत्रित किया था?
4-कार्यक्रम में कितने उपस्थित लोग उपस्थित थे?
5-ऐलेना हॉल को बुक करने के लिए आयोजकों ने कितना भुगतान किया?
इसके जवाब में जीसस कॉलेज ने राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस के सभी दावों की हवा निकाल दी। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से संबद्ध जीसस कॉलेज की प्रवक्ता ने 1 मार्च को ऑपइंडिया के सवालों के लिखित में जवाब दिए। जिसमें बताया गया कि जीसस कॉलेज के ऐलेना हाल में हुआ कार्यक्रम एक ‘पेड कार्यक्रम’ था, इसे कॉलेज प्रशासन ने आयोजित नहीं किया था। जवाब में लिखा गया है, “ये बाहरी कार्यक्रम था, कॉमर्शियल बुकिंग के आधार पर हुआ था। कॉलेज का इस कार्यक्रम के आयोजन या फंडिंग से कोई लेना-देना नहीं है।”
इस रिपोर्ट से साफ है कि राहुल गाँधी का ‘कैंब्रिज दौरा’ जनता की आँखों में धूल झोंकने जैसा था। न ही राहुल गाँधी को कैंब्रिज ने बुलाया और न ही जीसस कॉलेज ने। बल्कि पेड कार्यक्रम के जरिए भारत देश की 140 करोड़ जनता को भ्रम में डालने का प्रयास कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी की तरफ से किया गया।
(दिबाकर दत्ता की यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है। विस्तार से पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)