भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह की पार्टी में फिर से वापसी हो गई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का राम मंदिर आंदोलन में ख़ास योगदान रहा है और इसी कारण उनकी सरकार भी बर्खास्त कर दी गई थी। 87 वर्षीय कल्याण सिंह राज्यपाल का कार्यकाल पूरा कर अपनी पार्टी में वापस लौट आए हैं। आते-आते उन्होंने राम मंदिर पर तगड़ा सवाल दागा। कल्याण सिंह ने सभी राजनीतिक दलों को राम मंदिर पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
राजस्थान के पूर्व राज्यपाल ने कई भाजपा नेताओं की उपस्थिति में पार्टी ज्वाइन की। उनके बेटे राजवीर सिंह एटा के सांसद हैं और पोते संदीप सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में वित्त राज्यमंत्री हैं। कार्यक्रम के दौरान वे सभी मौजूद रहे। हालाँकि, कल्याण सिंह ने साफ़ कर दिया कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में काफ़ी चुनाव लड़े हैं। उन्होंने कहा कि उनका राजनीति से सन्यास लेने का फ़िलहाल कोई इरादा नहीं है।
कल्याण सिंह ने राम मंदिर को लेकर सभी राजनीतिक दलों से स्थिति स्पष्ट करने को कहा। सिंह ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को बताना चाहिए कि वे राम मंदिर के पक्ष में हैं या नहीं? राम मंदिर मामले की सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई चल रही है और नवंबर तक इस सम्बन्ध में फैसला आ जाने की उम्मीद है।
Former Uttar Pradesh CM #KalyanSingh‘s tenure in U.P. was marked by controversy, as it was under his watch the #BabriMasjid was demolished on December 6, 1992, pushing his image of a #Hindutva posterboy. https://t.co/vR5yRcp2PW
— The Hindu (@the_hindu) September 9, 2019
कल्याण सिंह की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया है। कल्याण सिंह ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी तारीफ की और कहा कि राज्य में उनका कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने सरकार को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह भाजपा को मजबूत करने के लिए कार्य करते रहेंगे।
कल्याण सिंह ने कहा कि बतौर राज्यपाल वह कुछ बोलते नहीं थे लेकिन यूपी की पल-पल की जानकारियाँ लेते रहते थे। लखनऊ लौटे सिंह का समर्थकों ने ज़ोरदार स्वागत किया, जहाँ से वे सीधे भाजपा के कार्यालय पहुँचे। अब देखना यह है कि राम मंदिर आंदोलन के एक मुख्य चेहरे के अपने गृह-राज्य और गृह-पार्टी में लौटने के बाद यूपी के राजनीतिक समीकरणों पर क्या प्रभाव पड़ता है?