Saturday, December 21, 2024
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‘कंपनियों के लिए थी जमीन, कॉन्ग्रेस सरकार ने पार्टी अध्यक्ष के फैमिली ट्रस्ट को दे दी’: कर्नाटक के राज्यपाल ने माँगी रिपोर्ट, हाई कोर्ट में सिद्धारमैया के परिवार का ‘लैंड स्कैम’

कॉन्ग्रेस सरकार पर आरोप लगाया गया है कि खरगे परिवार के ट्रस्ट को यह जमीन ऐसे इलाके में दी गई, जो एयरोस्पेस कम्पनियों के लिए थी। भाजपा नेता लहर सिंह सिरोया ने पूछा है कि आखिर खरगे परिवार कबसे एयरोस्पेस कम्पनी चलाने लगा।

कर्नाटक राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियंक खरगे के ट्रस्ट को कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा जमीन दिए जाने के मामले में जानकारी माँगी है। वहीं कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया गया है कि CM सिद्दारमैया की पत्नी को मैसुरु विकास प्राधिकरण (MUDA) ने जमीन देने का फैसला तब किया जब वह CM थे। कॉन्ग्रेस जमीन घोटाले के इन आरोपों से अब चौतरफा घिर गई है और उससे जवाब देते नहीं बन रहा है।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोमवार (2 सितम्बर, 2024) को CM सिद्दारमैया कि पत्नी को जमीन दिए जाने के मामले में सुनवाई की। इस मामले में एक्टिविस्ट ने CM सिद्दारमैया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक्टिविस्ट के वकील ने कोर्ट को बताया, “नवंबर 2017 में निर्णय लिया गया था। यह मानते करते हुए कि विकास लेआउट बनाने के लिए डी नोटिफाइड जमीन का उपयोग करने में उसने गलती की थी, MUDA ने याचिकाकर्ता (CM सिद्दारमैया) की पत्नी पार्वती को वैकल्पिक जमीन देने का फैसला किया। यही पूरी बात का निष्कर्ष है।”

आगे एक्टिविस्ट ने बताया,”यह भूमि याचिकाकर्ता के बहनोई द्वारा खरीदी गई थी, बाद में इसे डी-नोटिफाई किया गया। इसके बाद इसे गिफ्ट के तौर पर बहन को दिया गया। फिर यह MUDA ने ले ली और इसे विकसित किया और इसके बदले में नियम संशोधित करके मुआवजा भी दे दिया गया। यह सब तब हुआ जब CM सिद्दारमैया राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री थे। उनका पहला कार्यकाल 2013 से 2018 तक था। इस तरह से उनका इस मामले से संबंध है।”

इस मामले में एक्टिविस्ट ने कहा कि CM सिद्दारमैया के रोल की जाँच होनी चाहिए। एक्टिविस्ट ने कहा कि हो सकता है कि भले ही आखिर में सबको चिट मिल जाए, लेकिन अगर थोड़ा सा भी रोल CM सिद्दारमैया का निकला तो ये पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार का मामला होगा। इस मामले में बीते माह राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने CM सिद्दारमैया के विरुद्ध मामला चलाने की अनुमति दी थी। इसके खिलाफ CM सिद्दारमैया ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका डाली है। इसी पर सुनवाई में यह आरोप लगाए गए। अब इस मामले में सुनवाई 9 सितम्बर, 2024 को होगी।

खरगे परिवार के ट्रस्ट को जमीन पर राज्यपाल ने माँगी जानकारी

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे परिवार के ट्रस्ट को जमीन को दिए जाने पर सरकार से जानकारी माँगी है। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कॉन्ग्रेस सरकार को पत्र लिख कर इस मामले में जानकारी माँगी है। राज्यपाल ने खरगे परिवार के ट्रस्ट को बेंगलुरु के औद्योगिक इलाके में सरकार द्वारा जमीन दिए जाने पर जवाब की माँग की है। यह जमीन सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को दी गई थी, इसके मुखिया राहुल खरगे हैं, जो कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे हैं।

इस मामले में कॉन्ग्रेस सरकार पर आरोप लगाया गया है कि खरगे परिवार के ट्रस्ट को यह जमीन ऐसे इलाके में दी गई, जो एयरोस्पेस कम्पनियों के लिए थी। भाजपा नेता लहर सिंह सिरोया ने पूछा है कि आखिर खरगे परिवार कबसे एयरोस्पेस कम्पनी चलाने लगा। खरगे परिवार के ट्रस्ट को जमीन दिए जाने के मामले में कर्नाटक सरकार के मंत्री एमबी पाटिल की भूमिका की भी जाँच किए जाने की माँग की गई है। यह जमीन खरगे परिवार के ट्रस्ट को मार्च, 2024 में दी गई थी।

बेंगलुरु में जमीन दिए जाने के अलावा कलबुर्गी में भी एक जमीन के आवंटन का मामला भी सामने आया है। भाजपा सांसद लहर सिंह सिरोया ने एक ट्वीट करके इस मामले में सवाल पूछे हैं। लहर सिंह सिरोया ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पूछा है, “कागजो से पता चला है कि गुलबर्गा में अंतर्राष्ट्रीय पाली, संस्कृत और तुलनात्मक दर्शन संस्थान को 19 एकड़ सरकारी जमीन मुफ्त में दी गई थी, जिसका संचालन श्री मल्लिकार्जुन खरगे परिवार से सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।”

सांसद सिरोया ने बताया, “मार्च 2014 में सिद्धारमैया की कॉन्ग्रेस सरकार ने पाली इंस्टीट्यूट को 30 साल के लिए 16 एकड़ सरकारी जमीन लीज पर दी थी। कुछ सालों में 16 एकड़ की लीज में 03 एकड़ की जमीन और जोड़ दी गई। आखिरकार, मार्च 2017 में, कॉन्ग्रेस सरकार ने खरगे परिवार द्वारा संचालित संस्थान को सभी 19 एकड़ जमीन मुफ्त में ट्रांसफर कर दी। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि खरगे के बेटे, प्रियांक खरगे, तत्कालीन कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, जैसे कि वे वर्तमान में हैं।”

कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार इन सभी मामलों में नियमों के पालन की बात कह रही है। जहाँ सिद्दारमैया मामले में वह कोर्ट में गई है, खरगे परिवार मामले में अभी जुबानी जंग ही चल रही है। आगे यह मामला यदि जाँच के लिए जाता है तो राज्य राजनीतिक उथलपुथल और बढ़ने के संकेत हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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