कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने कृष्ण जन्माष्टमी और गणेशोत्सव से पहले विवाद खड़ा कर दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब दक्षिण कन्नड़ जिला स्कूल शिक्षा निदेशक ने 16 जुलाई 2024 को एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें मैंगलोर में स्कूलों के खेल के मैदानों का गैर-शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करने पर रोक लगा दी गई।
दक्षिण कन्नड़ जिला स्कूल शिक्षा निदेशक ने सरकारी, सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को एक परिपत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि स्कूल के मैदान और इमारतों का इस्तेमाल गैर-शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि शिक्षा विभाग के पास मंजूरी के लिए कोई प्रस्ताव भी ना भेजा जाए।
सर्कुलर में साफ चेतावनी दी गई है कि स्कूल परिसर में शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा किसी भी कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यदि इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है तो संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक जिम्मेदार होंगे। शिक्षा विभाग के आदेश के बाद स्कूल प्रबंधन बोर्ड ने गणेशोत्सव और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी समारोह की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
इस प्रकार सार्वजनिक तौर पर आयोजित होने वाले गणेशोत्सव समारोह का कार्यक्रम बाधित हो जाएगा। गणेशोत्सव और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले कर्नाटक सरकार के इस तानाशाही वाले सर्कुलर निकाले जाने के बाद हिंदू संगठनों में भारी रोष है। इस पर राज्य की मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी आपत्ति जताई है।
भाजपा और हिंदू संगठनों का कहना है कि दक्षिण कन्नड़ जिले के कई सरकारी स्कूलों के मैदान में कई वर्षों से गणेशोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन इस बार शिक्षा विभाग ने एक नए आदेश के जरिए गणेशोत्सव समारोह को रोकने का फैसला किया है। बेलथांगडी से भाजपा विधायक हरीश पूँजा ने माँग की है कि सरकार इस आदेश को तुरंत वापस ले।
सोशल मीडिया साइट X पर लोग कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को इसके लिए लताड़ लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि सीएम सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने स्कूलों और कॉलेज के मैदानों में गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी और सरस्वती पूजा रोकने की साजिश रची। लोगों का यह भी कहना है कि सिद्धारमैया ने चुनावों के दौरान अपनी रैलियों के लिए उन्हीं मैदानों का इस्तेमाल किया था।