Sunday, November 17, 2024
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‘मस्जिद में महिलाओं की एंट्री के लिए क्यों नहीं लड़ते’: राहुल गाँधी की ‘हिजाब राजनीति’ पर बोले कर्नाटक के मंत्री – ये अशांति की साजिश

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कटील ने भी स्पष्ट किया कि सरकार दूसरा तालिबान नहीं बनने देगी। उन्होंने विद्यालयों को 'सरस्वती मंदिर' बताते हुए कहा कि छात्रों को वहाँ के नियम-कानून का पालन करना चाहिए।

कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में कुछ मुस्लिम छात्राएँ हिजाब पहन कर जाने के लिए अड़ी हैं, जबकि उन शैक्षिक संस्थानों के प्रशासन का कहना है कि ये यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं है। चूँकि कर्नाटक में भाजपा की सरकार है, इसीलिए इस मामले में मीडिया गिरोह से लेकर तमाम विपक्षी नेता तक कूद गए हैं। राहुल गाँधी ने इसे हिन्दू त्योहार सरस्वती पूजा से जोड़ते हुए छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ करार दिया। अब कर्नाटक के मंत्री वी सुनील कुमार ने उन्हें जवाब दिया है।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार में कन्नड़, संस्कृति और ऊर्जा मंत्रालय संभाल रहे सुनील कुमार ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब की अनुमति दिए जाने के लिए एक्टिविज्म चला रहे लोगों को चुनौती दी है कि वो मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश के लिए भी इसी तरह का अभियान चलाएँ। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता सिद्दारमैया भी इस मामले में राज्य सरकार को दोष दे रहे हैं। मंत्री सुनील कुमार ने आरोप लगाया कि कर्नाटक में अशांति फैलाने के लिए हिजाब वाला मामला उठाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “एक तरफ ये कट्टरपंथी समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हैं, वहीं दूसरी तरफ वो चाहते हैं कि शैक्षिक संस्थानों के नियम-कानून भी वही तय करें। सरकार को ये स्वीकार्य नहीं है। मैं उन मुस्लिम महिलाओं से पूछना चाहता हूँ, जिन्हें ‘तीन तलाक’ की बेड़ियों से मुक्त किया गया है। मोदी सरकार ने ये कर के दिखाया है। मुस्लिम महिलाएँ इसे समझें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। SDPI और सिद्दारमैया जैसों के दबाव में न आएँ।”

मंत्री ने कहा कि छात्राओं के हिजाब अथवा बुर्का पहनने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन शैक्षिक संस्थानों के परिसरों के भीतर तक ही -कक्षाओं के अंदर नहीं। उन्होंने कहा कि इन शैक्षिक संस्थानों के ड्रेस कोड्स शुरू से रहे हैं और अब सरकार इस सम्बन्ध में फ्रेमवर्क भी दे रही है। उधर दक्षिण कन्नड़ के सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कटील ने भी स्पष्ट किया कि सरकार दूसरा तालिबान नहीं बनने देगी। उन्होंने विद्यालयों को ‘सरस्वती मंदिर’ बताते हुए कहा कि छात्रों को वहाँ के नियम-कानून का पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब स्कूल-कॉलेजों के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करना है तो वो लोग कुछ और करें, क्योंकि सरकार यहाँ एक और तालिबान का निर्माण नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि ‘टीपू जयंती’ मनाने वाले और खास समुदाय के लिए ‘शादी भाग्य’ योजना लाने वाले सिद्दारमैया अब हिजाब की बातें कर रहे हैं। वहीं सुनील कुमार ने कहा कि सिर्फ कुछ लोग मिल कर नहीं तय करेंगे कि स्कूल-कॉलेजों में क्या पहनना है और सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।

केरल के वायनाड से सांसद राहुल गाँधी ने अपनी ट्वीट में लिखा था, “छात्राओं की शिक्षा के बीच हिजाब को आने देना भारत के बेटियों का भविष्य बर्बाद करने जैसा है। माँ सरस्वती सबको ज्ञान देती है, किसी में भेदभाव नहीं करती।” वहीं तथाकथित पत्रकार रोहिणी सिंह भी पहले तो बुर्का/हिजाब का विरोध करते हुए इसे महिलाओं के साथ जबरदस्ती के रूप में देखती थीं, लेकिन अब मामला भाजपा सरकार के खिलाफ है तो उन्होंने इसका समर्थन करना शुरू कर दिया है।

भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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