कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम लगभग साफ़ हो गए हैं और कॉन्ग्रेस पार्टी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर के सत्ता में वापसी की है। भले ही अति-उत्साह में पार्टी के समर्थक ये दावा कर रहे हों कि 2024 के लोकसभा चुनाव पर इसका असर पड़ेगा, लेकिन इतिहास देख कर ऐसा लगता नहीं है। 2018 विधानसभा चुनाव में भी कॉन्ग्रेस मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उसने सरकार बनाई थी।
लेकिन, 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बदतर ही रहा। 2023 विधानसभा चुनाव में कर्नाटक चुनाव परिणाम की बात करें तो जहाँ कॉन्ग्रेस को 135 सीटें मिलती हुई दिख रही है, वहीं भाजपा 65 और JDS 20 सीटें प्राप्त करती हुई दिख रही है। वोट प्रतिशत की बात करें तो कॉन्ग्रेस को 43.1%, वहीं भाजपा को 35.6% वोट मिले हैं। जेडीएस का वोट शेयर 13.3% है। आइए, 2018 विधानसभा चुनाव परिणाम से इसकी तुलना कर के देखते हैं।
उस चुनाव में भाजपा 104 सीटें पा कर सबसे बड़े दल में उभरी थी, वहीं दूसरे नंबर पर आई कॉन्ग्रेस को 80 सीटें मिली थीं। वहीं जेडीएस के 37 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। इस तरह से देखें तो इस बार भाजपा को 39 सीटों का और JDS को 17 सीटों का नुकसान हुआ है। वोट प्रतिशत की बात करें तो 5 साल पहले हुए चुनाव में भाजपा के खाते में जहाँ 36.22% वोट आए थे, वहीं कॉन्ग्रेस को 38.04% और जेडीएस को 18.3% वोट मिले थे।
The BJP may be down in Karnataka but not out.
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 13, 2023
A quick look at the comparative vote share of the BJP, Congress and JDS between 2018 and 2023.
BJP’s vote share has dropped to 35.8% from 36.2% in 2018, a drop of mere 0.4%.
Congress’s on the other hand has gone up by 4.8%, from…
अब आइए, देखते हैं कि कर्नाटक में किसे कितना नुकसान और फायदा हुआ है, मत प्रतिशत के मामले में। कॉन्ग्रेस का वोट प्रतिशत लगभग 5% बढ़ा है, वहीं जेडीएस को 5% वोटों का नुकसान झेलना पड़ा है। यानी, जेडीएस का जितना नुकसान हुआ है कॉन्ग्रेस को उतना ही फायदा मिला है। भाजपा के वोट शेयर में कोई ऐसी गिरावट नहीं दर्ज की गई है, जिससे इसे सत्ता विरोधी लहर कहा जा सके। भाजपा का वोट शेयर 1% भी नहीं घटा है।