केरल के त्रिशूर जिले के इरिंजालकुडा क्षेत्र में स्थित करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक में हुए कर्ज घोटाले के मामले में विपक्ष ने सत्ताधारी एलडीएफ सरकार पर आरोप लगाया है। विपक्ष ने कहा कि यह केरल के इतिहास की सबसे बड़ी बैंक लूट है और सीपीएम के नेतृत्व ने इस पर कार्रवाई करने की बजाय घोटाले के आरोपितों को संरक्षण देने का काम किया है।
करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक को सीपीएम नियंत्रित करती है। कर्ज घोटाले के संबंध में विधानसभा में चर्चा करने के लिए प्रस्ताव पेश करते हुए कॉन्ग्रेस विधायक शफ़ी पराम्बिल ने कहा कि यह घोटाला केरल के इतिहास का सबसे बड़ा बैंक घोटाला है और इस घोटाले के आगे तो पॉपुलर हीस्ट सीरीज (money heist) भी फीकी दिखाई दे रही है। पराम्बिल ने बताया कि यह कर्ज घोटाला लगभग 350 करोड़ रुपए का है।
पराम्बिल ने यह भी आरोप लगाया कि करुवन्नूर बैंक की गवर्निंग काउंसिल के कुछ सदस्यों द्वारा बैंक को लूटे जाने की जानकारी मिलने के बाद भी सीपीएम नेतृत्व ने घोटाले को दबाए रखा और गवर्निंग काउंसिल को निलंबित करने के स्थान पर घोटाले के आरोपितों को संरक्षण प्रदान करने के काम किया गया। विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने भी सवाल उठाया कि घोटाला 2018 में ही सामने आया था, उसके 3 साल बाद गुरुवार (23 जुलाई 2021) को गवर्निंग काउंसिल को बर्खास्त किया गया। सतीशन का यहाँ तक कहना है कि घोटाले की जाँच कर रहे सीपीएम के नेता घोटाले से पूरी तरह से परिचित थे। ऐसे में जब अपराध हुआ है तो क्या इस मुद्दे को पार्टी के अंदर सुलझाया जाना पर्याप्त है।
ऐसे हुआ करोड़ों के कर्ज का खेल:
पराम्बिल ने घोटाले के संबंध में एक महिला का उदाहरण दिया जो राष्ट्रीय बैंक से कर्ज लेना चाहती थी। महिला एक राष्ट्रीयकृत बैंक में ऋण लेने के लिए गई, लेकिन वहाँ इस मामले में गिरफ्तार आरोपित अरुण किरण उसे मिला और उसने महिला को करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक से कर्ज लेने के लिए कहा। इसके बाद महिला ने लोन के लिए सहकारी बैंक में सभी दस्तावेज जमा कर दिए। उसके बाद महिला ने इस बैंक के अधिकारियों से कोई संपर्क नहीं किया और ना ही उसके दस्तावेज ही वापस मिले। पराम्बिल ने बताया कि कुछ समय के बाद उस महिला के पास 3 करोड़ रुपए जमा करने का नोटिस आ गया, जबकि उस महिला को बैंक से एक रुपए का कर्ज नहीं मिला था।
पराम्बिल ने आरोप लगाते हुए कहा कि कर्ज देने के लिए 50 काल्पनिक नामों का प्रयोग किया गया और प्रत्येक को 50-50 लाख का कर्ज करुवन्नूर बैंक से दिया गया। इसके अलावा, कई ऐसे भी कर्जधारक थे जिन्होंने बैंक से 13 से 26 करोड़ रुपए तक का कर्ज लिया, लेकिन उसे चुकता नहीं किया। रिपोर्ट के मुतबाकि, घोटालेबाजों ने शुरू में 50,000 रुपए का कर्ज दिया और उसके बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के बाद 50 लाख रुपए का कर्ज लिया। खास बात ये है कि जिनके नाम पर ये धोखाधड़ी की गई, वो भी सीपीएम के ही समर्थक हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैंक में पाँच साल में 300 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला हुआ है। सहकारी क्षेत्र के नियमों के अनुसार, कुल निवेश का केवल 70 प्रतिशत ही बैंक ऋण के रूप में जारी कर सकता है। लेकिन ऐसे सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए बैंक ने 2018-19 में 437.71 करोड़ रुपए के ऋण जारी किए, जबकि कुल निवेश सिर्फ 401.78 करोड़ रुपए ही था। बैंक फ्रॉड के मामले में इससे पहले इरिंजालकुडा पुलिस ने 120 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत पर बैंक के पूर्व सचिव और प्रबंधक सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालाँकि, अब पता चला है कि घोटाला पहले शिकायत की गई रकम से तीन गुना अधिक है।