केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को माकपा पोलित ब्यूरो की बैठक में असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। दो दिवसीय यह बैठक रविवार को दिल्ली में समाप्त हुई थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक केरल में माकपा के दो युवा कार्यकर्ताओं पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत कार्रवाई को लेकर ब्यूरो के सदस्यों ने विजयन को खूब सुनाया।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि पोलित ब्यूरो के तीन सदस्यों ने इस महीने की शुरुआत में कोझीकोड में पार्टी के दो युवा कार्यकर्ताओं के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई पर बेहद नाराजगी जताई। तीखी आलोचना के बाद विजयन ने सफाई देते हुए कहा कि जब यह मामला सरकार के पास आ गया तो वे उचित कार्रवाई करेंगे। उल्लेखनीय है कि यूएपीए के तहत आरोपों को लेकर आखिरी मंजूरी राज्य सरकार देती है।
लेकिन इससे तीनों वरिष्ठ सदस्य शांत नहीं हुए। उनका गुस्सा इस बात को लेकर था कि ऐसा उस राज्य में हुआ जहॉं पार्टी की सरकार है। इसके बाद फैसला किया गया कि इस मसले पर चर्चा जनवरी में पार्टी की सेंट्रल कमेटी की बैठक में होगी।
सीपीआई कार्यकर्ता एलन सुहैब और तहा फैज़ल पर यूएपीए के सेक्शन 20 (जिसमें आतंकी समूह या संगठन का सदस्य होने पर सजा का प्रावधान है), 38 (आतंकी संगठन से संबद्ध होने का अपराध), 39 ( आतंकी संगठन को सहयोग प्रदान करने का अपराध) के तहत केरल पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। अदालत ने दोनों को 15 दिन की हिरासत में भेज दिया था। दोनों की उम्र करीब 20 साल है और वे कानून तथा पत्रकारिता के छात्र हैं। इनके पास से माओवादी विचारधारा से संबंधित पैम्फलेट बरामद किए गए थे। साथ ही जम्मू कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की थी।
दोनों के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की बात सामने आने के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और उनके पूर्ववर्ती प्रकाश करात ने इस पर आपत्ति जताई थी। इस मामले में पार्टी का एक धड़ा विजयन के रवैए से नाखुश है। हालॉंकि यह गुट पहले भी उनके खिलाफ रहा है। लेकिन, लोकसभा चुनावों में प्रदेश में पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन ने उनके विरोधियों को चुप रहने पर मजबूर कर दिया था। अब युवा कार्यकर्ताओं पर यूएपीए के तहत कार्रवाई को बहाना बनाकर वे फिर से विजयन के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं।