केरल में सोमवार को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद में अचानक वृद्धि देखने को मिली। इसके बाद राज्य में कुल 28 केस सामने आए। इतना होने के बावजूद राज्स सरकार के फैसलों में निहित नियम-शर्तों को देखकर लगा कि वे सिर्फ़ इस लड़ाई को लड़ने के लिए दिखावटी प्रयास कर रहे हैं और उन्हें केवल अपने राजस्व से मतलब है।
दरअसल, सोमवार को राज्य में 28 कोरोना मामलों का खुलासा होने के बाद केरल सरकार ने सभी बार और शराब के ठेकों को बंद करने की घोषणा की। लेकिन इस दौरान उन्होंने ये भी घोषणा की कि राज्य संचालित शराब की दुकानें खुली रहेंगी। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कोविड-19 समीक्षा बैठक के बाद इस निर्णय की घोषणा की।
उन्होंने कहा, “राज्य द्वारा संचालित केरल स्टेट बेवरेज (मैन्युफैक्चरिंग एंड मार्केटिंग) कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बेवको) की शराब की दुकानों को प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया गया है और यह अब इन शराब की दुकानों को छूट दी जाएगी।” विजयन ने सोमवार को ये घोषणा करते गुए संवाददाताओं से कहा, “शराब की दुकानें खुली रहेंगी। जब सरकार ने शराब की बिक्री रोक दी थी तो हमें कुछ बुरे अनुभवों से गुजरना पड़ा था। इससे कई सामाजिक मुद्दे उत्पन्न होंगे।”
मुख्यमंत्री विजयन ने राज्य द्वारा संचालित शराब की दुकानों के खुलने पर शर्त रखी। उन्होंने कहा, “ग्राहक बैठकर नहीं पी सकते। मगर, बाद में जरूरत पड़ने पर काउंटर सेल की अनुमति दी जाएगी।”
इसके बाद उन्होंने अपने निर्णय को वाजिब ठहराते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के फैसले का हवाला दिया। जिसमें उन्होंने लॉकडाउन के दौरान जरूरत के सामनों जैसे सब्जी आदि के साथ पेय को जरूरी सामग्री में शामिल किया था और इसकी आपूर्ति को आवश्यक बताया था।
यहाँ बता दें कि केरल में इस समय वामपंथियों की सरकार है जिसके कारण सीएम का ये फैसला और भी ज्यादा हैरान करने वाला है। क्योंकि अपनी विचारधारा को हमेशा धर्म-जाति-पाति से उठकर मानवता के हित में बताने वाले वामपंथियों से जाहिर है ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन ऐसी उम्मीद सिर्फ कागजी है!
गौरतलब है कि सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए नेता विपक्ष रमेश चेन्निथला ने कहा कि यह शराब की सभी दुकानों को बंद करने के खिलाफ सरकार के अड़ियल रवैये को दर्शाता है, जिससे राज्य और अधिक खतरनाक स्थिति में पहुँचेगा।
जानकारी के अनुसार, केरल वह राज्य है जहाँ प्रति व्यक्ति शराब की खपत सबसे अधिक है। जिसके कारण इसका सीधा राजस्व पर पड़ता है या ये कहें कि सरकारी खजाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा राज्य की शराब की खपत से आता है। बता दें 2019 में बिक्री की तुलना में बेवको आउटलेट के माध्यम से कानूनी शराब की बिक्री में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।