केरल की सीपीएम सरकार ने कार्टूनिस्ट सुभाष केके द्वारा बनाए गए उस कार्टून की फिर से समीक्षा करने का निर्णय लिया है, जिसे सरकार ने हाल ही में ‘केरल ललितकला अकादमी अवॉर्ड’ से नवाजा है। कारण है- चर्चों द्वारा किया गया विरोध। केरल सरकार चर्चों व पादरियों द्वारा किए जा रहे विरोध के सामने झुकती हुई नज़र आ रही है। यह कार्टून यौन शोषण के आरोपित पादरी फ्रैंको मुलक्कल का है। केरल चर्च बिशप काउंसिल (KCBC) ने कहा है कि इस कार्टून में बिशप मुलक्कल को बुरे तरीके से दिखाया गया है और इसीलिए यह धार्मिक संवेदनाओं को चोट पहुँचाने वाला है।
दरअसल, इस कार्टून में बिशप फ्रैंको को एक मुर्गे के रूप में चित्रित किया गया है, जिसे विधायक पीसी जॉर्ज का सहारा मिल रहा है। इस कार्टून में पीड़ित ननों को भी दिखाया गया है, वह डर कर कहीं भाग रही हैं और व्यथित हैं। इस कार्टून में पुलिस की टोपी को दिखाया गया है, जिस पर बिशप मुलक्कल मुर्गे के रूप मे खड़ा है। इसमें यह दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरह कुछ राजनेताओं व पुलिस अधिकारियों की मदद से पीड़ित ननों को न्याय नहीं मिल पा रहा है और मुलक्कल कानून की गिरफ़्त में नहीं आ रहा है। अभी हाल ही में केरल सरकार ने मुलक्कल के ख़िलाफ़ बलात्कार की जाँच कर रहे दो अधिकारियों का ट्रान्सफर कर दिया था।
Kerala govt under church pressure, to re-examine award for ‘Bishop Franco’ cartoon. The Kerala Catholic Bishops’ Council (KCBC) had strongly objected to the ‘panty’ in the cartoon and criticised the LDF government. https://t.co/PMZe9yrCR1
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) June 12, 2019
इन सबके अलावा उक्त कार्टून में बिशप मुलक्कल की लाठी के ऊपर महिलाओं के अंगवस्त्र टंगे हुए हैं और उसके ऊपर लिखा है- “विश्वासम रक्षतिः (आपका विश्वास ही आपको बचाएगा)”। इसके अलावा उस कार्टून में सीपीएम नेता पाइक शाही का भी चित्र है, जिन पर यौन शोषण के आरोप लगे हुए हैं। बिशप मुलक्कल और पीके शाही अपने सिरों पर एक ही प्रकार की टोपी पहने हुए हैं, जिसका अर्थ यह हुआ कि दोनों एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं, भले ही दोनों अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हों।
केरल बिशप काउंसिल ने कहा है कि सीपीएम को ऐसा लगता है कि ईसाईयों ने हालिया लोकसभा चुनाव में उसे वोट नहीं दिया, इसीलिए शायद केरल सरकार ने इस कार्टून को अवॉर्ड देने का निर्णय लिया। काउंसिल का कहना है कि ईसाईयों के पवित्र प्रतीक के ऊपर महिला के अंगवस्त्र को दिखाना ग़लत है। काउंसिल ने कहा कि ऐसे कार्टून को सरकार द्वारा पुरस्कृत करना अजीब विषय है। अब चर्चों के विरोध के बाद केरल सरकार ने इस अवॉर्ड की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। केरल के संस्कृति मंत्री एके बालन ने कहा, “हालाँकि, सरकार इस कार्टून की थीम की प्रशंसा करती है लेकिन हम धार्मिक प्रतीक के अपमान को गंभीरतापूर्वक ले रहे हैं। इसीलिए हमने ललित कला आकादमी को इस वर्ष दिए गए अवार्डों की समीक्षा करने को कहा है।“
बता दें कि केरल में तब सीपीएम की ही सरकार थी, जब हिन्दू देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाने वाले चित्रकार एमएफ हुसैन को ‘राजा रवि वर्मा अवॉर्ड’ देने का निर्णय लिया गया था। इसे लेकर केरल की वामपंथी सरकार की काफ़ी आलोचना भी की गई थी। सोशल मीडिया पर लोगों ने भी पूछा कि एमएफ हुसैन को अवॉर्ड देने वाली सरकार चर्चों के विरोध के सामने क्यों झुक गई?