केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके सदस्यों से 5.20 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई में देरी को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस एक. जयशंकरन नांबियार और जस्टिस मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने सोमवार (19 दिसंबर, 2022) को कहा कि पीएफआई और इसके सदस्यों की संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए जाने के बावजूद राज्य ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया। अदालत ने कहा कि संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के मामले को छोटा मामला नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को 23 दिसंबर 2022 को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले महीने सरकार ने अदालत को बताया था कि राजस्व विभाग को कार्रवाई आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने अदालत को भरोसा दिलाया था कि एक महीने के भीतर कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी। लेकिन, सोमवार को गृह विभाग ने अदालत को बताया कि राजस्व विभाग ने कहा है कि एक महीने के भीतर प्रक्रिया को पूरा करना अव्यावहारिक है। इस पर केरल उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पूर्व में निर्देशों के अनुपालन के लिए दिया गया समय 31 जनवरी को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
मालूम हो कि अदालत ने इस साल सितंबर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने के लिए 2 सप्ताह में 5 करोड़ 20 लाख रुपए जुर्माने के तौर पर भरने के लिए कहा था। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि अवैध हड़ताल के संबंध में राज्य भर में दर्ज मामलों में प्रतिबंधित PFI के राज्य सचिव अब्दुल सत्तार को आरोपित बनाया जाए, क्योंकि इस तरह से आम लोगों का जीवन खतरे में नहीं डाला जा सकता है।
साथ ही जिला स्तर के अदालतों को भी ये आदेश दिया गया कि तोड़फोड़ में शामिल PFI कार्यकर्ता जहाँ भी जमानत की अर्जी दाखिल करें, वहाँ उनकी जमानत की शर्तों में नुकसान की उन्हीं से भरपाई शामिल हो। गौरतलब है कि PFI के ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा 22 सिंतबर 2022 को हुई राष्ट्रव्यापी छापेमारी के बाद अगले दिन 23 सितंबर को PFI ने केरल में हड़ताल बुलाई थी। इस हड़ताल में बड़े पैमाने पर हिंसक हरकतें हुई थीं। आरोप है कि PFI के कार्यकर्ताओं ने सरकारी बसों को भी नुकसान पहुँचाया था।