गरीबी उन्मूलन को लेकर केरल सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना ‘कुदुम्बश्री’ को लेकर विवाद हो गया है। दरअसल, ‘कुदुम्बश्री योजना’ के अंतर्गत स्वयंसेवी सहायता समूह ने अपनी स्वयंसेविकाओं को बेटे-बेटियों को समान अधिकार देने वाली शपथ लेने के लिए कहा था। लेकिन, मौलवियों ने इस शपथ को शरिया (इस्लामिक कानून) के खिलाफ बताते हुए विरोध किया। इसके बाद अब, राज्य सरकार ने इस शपथ पर रोक लगा दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल के मुस्लिमों का एक समूह ‘समस्थ केरल जाम-इयुथुल कुतबा कमेटी’ ने ‘कुदुम्बश्री योजना’ के अंतर्गत कार्य कर रही महिलाओं की शपथ का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह शरिया (इस्लामी कानून) के खिलाफ है। साथ ही, मौलवियों का कहना है कि इस शपथ के माध्यम से राज्य सरकार, केंद्र सरकार को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने में मदद कर रही थी।
दरअसल, ‘कुदुम्बश्री योजना’ से जुड़ी महिलाओं द्वारा ली जा रही इस शपथ के एक भाग में कहा गया था, “हम अपने बेटे-बेटियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार देंगे।” शपथ के इसी हिस्से को लेकर ‘समस्थ केरल जाम-इयुथुल कुतबा कमेटी’ ने कहा है कि ‘कुदुम्बश्री योजना’ से जुड़ी महिलाओं को यह शपथ नहीं लेनी चाहिए।
मुस्लिम संगठन समस्थ केरल जाम-इयुथुल कुतबा कमेटी के नेता नजर फैजी कूडथाई ने विरोध जताते हुए फेसबुक में एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उन्होंने कहा है, “यह शपथ संविधान के खिलाफ है। कुरान के अनुसार, एक पुरुष के पास दो महिलाओं के बराबर संपत्ति का हिस्सा होता है और महिला को पिता की संपत्ति से पुरुष को मिलने वाली संपत्ति का केवल आधा हिस्सा दिया जाता है।”
फैजी ने यह भी कहा, “लैंगिक समानता के नाम पर सरकार धर्म के मूल सिद्धांतों में हस्तक्षेप कर रही है। इस तरह के उपायों से देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के केंद्र के कदम में मदद मिलेगी।” फैजी कूडाथाई के इस बयान के बाद जमात-ए-इस्लामी सहित कई अन्य मुस्लिम संगठनों ने भी उनका समर्थन किया है। नाम न छापने की शर्त पर ‘कुदुम्बश्री मिशन’ के एक अधिकारी ने कहा, “हमें शपथ न कराने का आदेश दिया गया है और कहा गया है कि कुछ समय बाद एक अन्य शपथ उपलब्ध कराई जाएगी।”
हालाँकि, इस मामले में विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा, “सरकार ने कट्टरपंथी ताकतों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। सबरीमाला आंदोलन के मद्देनजर पुनर्जागरण आंदोलन और सरकार द्वारा बनाई गई मानव श्रृंखला कहाँ है? हजारों तीर्थयात्रियों पर हमला किया गया और पुलिस ने दो महिला कार्यकर्ताओं को मंदिर में प्रवेश करने में भी मदद की। इस बार आत्मा क्यों गायब है?” भाजपा की ओर से यह भी कहा गया है कि स्कूलों में समान यूनिफॉर्म पेश करने का सरकार का कदम भी इन ताकतों के प्रकोप के डर से वापस ले लिया गया था।