बिहार के राजनीतिक दल ‘लोक जनशक्ति पार्टी (LJP)’ में बड़ा घमासान मचा हुआ है, जहाँ चाचा पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान का पत्ता काट के खुद सारे निर्णय लेना शुरू कर दिया है। पार्टी के लोकसभा में फ़िलहाल 6 सांसद हैं, जिनमें अध्यक्ष चिराग पासवान के अलावा बाकी सभी सांसद एकजुट हैं। साथ ही पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता भी नियुक्त कर दिया गया है।
उधर चिराग पासवान अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए खुद चाचा के घर पहुँचे, जहाँ उनके लिए दरवाजा तक नहीं खोला जा रहा था। वो खुद कार चला कर चाचा के बंगले पर पहुँचे थे। आधे घंटे तक लगातार हॉर्न बजाने के बाद दरवाजा खुला। पारस बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक अच्छा नेता और ‘विकास पुरुष’ बता चुके हैं, जबकि चिराग पासवान उनके धुर-विरोधी रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं है, बल्कि बचाई है।
NBT की खबर के अनुसार, चिराग पासवान ने डैमेज कंट्रोल की उम्मीद में चाचा पशुपति कुमार पारस के समक्ष अंतिम प्रस्ताव ये रखा कि पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पत्नी, अर्थात चिराग की माँ रीना पासवान सबसे वरिष्ठ हैं और उन्हें ही अध्यक्ष का पद दिया जाए। इस पर पारस खेमे से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। चिराग पासवान अपने मित्र राजू तिवारी के साथ चाचा के बंगले पर डेढ़ घंटे रुके, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई।
सीधी मुलाकात न होने पर चिराग ने चाचा के समक्ष अपना प्रस्ताव भिजवाया। इससे साफ़ है कि पशुपति कुमार पारस ने घर और पार्टी का दरवाजा चिराग के लिए बंद कर दिया है और वो उनसे किसी प्रकार के समझौते के मूड में नहीं हैं। राजद नेता भाई वीरेंद्र ने चिराग को अपनी पार्टी में शामिल होकर इज्जत बचाने का ऑफर किया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी व चिराग युवा हैं, तेजस्वी बिहार में और चिराग केंद्र में मिल कर राजनीति कर सकते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सांसदों का समर्थन पत्र भी सौंप दिया गया है। पाँचों बागी सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नया नेता चुनने की बात कही है। वहीं महबूस अली कैंसर को लोकसभा में पार्टी का उपनेता बनाया गया है। सूरजभान सिंह के भाई नवादा से सांसद चंदन सिंह को पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है। पद बाँटने में जिस तरह से जातिगत समीकरणों का ख्याल रखा गया है, उससे स्पष्ट है कि तैयारी पहले से चल रही थी। पारस को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी घोषित कर दिया गया है।
उन्होंने दलित+मुस्लिम+भूमिहार का समीकरण बना कर पार्टी में बगावत की है। इससे पहले मीडिया को बयान देते हुए पारस ने दावा किया था कि लोजपा के 99% कार्यकर्ता चिराग पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में JDU के खिलाफ पार्टी के लड़ने और असफल रहने से काफी नाराज़ हैं। उन्होंने NDA के हिस्सा बने रहने की बात करते हुए कहा कि चिराग भी संगठन में बने रह सकते हैं।
चिराग पासवान, बाग़ी पशुपति पारस के घर पहुंचे हैं, खुद गाड़ी ड्राइव कर के आए हैं बावजूद इसके पशुपति पारस के घर का दरवाजा उनके लिए नहीं खोला जा रहा है, चिराग बार-बार गाड़ी का हॉर्न बजा रहे हैं पर चाचा दरवाज़ा खोल नहीं रहे हैं. pic.twitter.com/YwbLACn17x
— Samir Abbas (@TheSamirAbbas) June 14, 2021
मटिहानी सीट से जीतने वाले पार्टी के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह पहले ही JDU में जा चुके हैं। रामविलास पासवान के एक अन्य दिवंगत भाई रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज ने भी बगावती खेमे का ही रुख किया है। इससे साफ़ है कि रामविलास पासवान की विरासत को लेकर पारिवारिक लड़ाई पहले से चल रही थी। पारस जदयू नेता ललन सिंह और पासवान के रिश्तेदार महेश्वर हजारी से संपर्क में थे, जो जदयू में ही हैं।
लोजपा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवारों की सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। चिराग ने भाजपा का कभी विरोध नहीं किया था और NDA में बने हुए थे। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच पशुपति कुमार पारस को भी इसमें जगह मिलेगी या नहीं, ये चर्चा अब तेज़ है। सूरज भान सिंह भी दिल्ली में बैठ कर बगावत की रणनीति बनाते रहे। असंतुष्टों को मनाने में असफल रहने और एकतरफा फैसले लेने को चिराग की विफलता मानी जा रही है।