बीते कुछ समय में कॉन्ग्रेस पार्टी की बिगड़ी स्थिति किसी से छिपी नहीं है। एक तरफ जहाँ चुनावों के मद्देनजर आए दिन भाजपा में किसी न किसी नेता के शामिल होने की खबरें आती हैं, वहीं कॉन्ग्रेस पार्टी से बड़े-बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने की खबरें भी सुनने को मिलती है। कॉन्ग्रेस की कमियों के कारण उसका दामन छोड़ने की लिस्ट में कई कद्दावर नेताओं के नाम भी शामिल हैं। इसमें एक नाम आँध्र प्रदेश में तीन बार विधायक रह चुके कोटला जयसूर्या प्रकाश रेड्डी का भी है। जयसूर्या, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कोटला विजय भास्कर रेड्डी के बेटे हैं। उन्होंने हाल ही में कॉन्ग्रेस को छोड़ कर टीडीपी का हाथ थामा है। और एक बार फिर वह करनूल से अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं।
जयसूर्या प्रकाश के इस फैसले के बाद और चुनावों से ठीक पहले उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में कॉन्ग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह बताई। इस साक्षात्कार में जयसूर्या ने बताया कि उन्हें करनूल के किसानों की चिंता है। उन्होंने कहा कॉन्ग्रेस की छोटी-छोटी गलतियों के कारण राज्य में अब पार्टी का कोई अस्तित्व ही नहीं बचा है। जयसूर्या ने कहा कि उन्होंने पार्टी की हालत सुधारने की कोशिश लगभग साढ़े 4 साल तक की। लेकिन जब कोई भी उम्मीद नहीं बची… तब उन्होंने दुखी होकर कॉन्ग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक सफर पर विराम लगाने की सोची, साथ ही राजनीति से भी संन्यास लेने का मन बना लिया था। लेकिन लोगों ने उन्हें राजनीति छोड़ने से मना किया। बाद में उन्होंने चंद्र बाबू नायडू से मिलकर टीडीपी जॉइन की।
कॉन्ग्रेस छोड़ने वाले सवाल पर उन्होंने आँध्र प्रदेश के विभाजन का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के लोगों को अब भी लगता है कि कॉन्ग्रेस ने आँध्र प्रदेश के साथ अन्याय किया है। लंबे समय से कॉन्ग्रेस से जुड़े रहने के बावजूद जयसूर्या खुद स्वीकारते हैं कि ग्रामीण इलाकों में लोग अब खुलेआम ‘नो कॉन्ग्रेस’ कहते हैं। रेड्डी बताते हैं कि लोग उनकी छवि को हाथ (कॉन्ग्रेस) का पर्याय समझते हैं। जिसकी उन्हें बहुत चिंता है। वो उन्हें समझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं कि उन्होंने पार्टी बदल ली है।
इस साक्षात्कार में रेड्डी ने कहा कि कॉन्ग्रेस की नीतियाँ बिल्कुल भी सही नहीं हैं। कॉन्ग्रेस को लगता है कि उन्हें काम करने की क्या जरूरत है। लोग इंतजार करेंगे और 10 साल बाद खुद उनके पास वापस लौट आएँगे।
इस साक्षात्कार में रेड्डी ने पार्टी बदलने के कारण अपने नाम की विश्वसनीयता पर पड़े प्रभाव को लेकर कहा कि जनता बुद्धिमान है। जनता को मालूम है कि उन्होंने टीडीपी इसलिए जॉइन की है ताकि वो किसानों का भला कर सकें। उनका कहना है कि 85 प्रतिशत करनूल के लोग खेती पर आश्रित हैं। उनकी मानें तो उन्होंने ये फैसला अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से बातचीत के बाद लिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी बदलने के सिवा उनके पास कोई विकल्प नहीं था और अब कॉन्ग्रेस के लौटने के चांस नहीं हैं।
जयसूर्या से जब यह पूछा गया कि क्या उन्होंने पिछले साढे़ चार सालों में राहुल गाँधी या सोनिया गाँधी से मिलकर अपनी परेशानी बताने का प्रयास किया? तो जयसूर्या ने बड़ा ही तालमेल बिठा के जवाब देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उन्होंने सितंबर 2018 में करनूल में राहुल गाँधी को रैली संबोधित करने के लिए बुलाया था। उन्होंने नेता के रूप में राहुल को और उनके परिवार को अच्छा बताया, लेकिन साथ मे ये बार-बार कहा कि आँध्र प्रदेश के विभाजन के बाद से कुछ ऐसी चीजें हुई हैं, जिसने लोगों को ‘नो कॉन्ग्रेस’ कहने पर मजबूर कर दिया है। उनकी मानें तो कॉन्ग्रेस को आँध्र प्रदेश में लौटने में अब कम से कम 15 साल लगेंगे।
यहाँ बता दें कि साल 2013 में कॉन्ग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए तेलंगाना को आँध्र प्रदेश से अलग कर दिया था। जिसे लेकर वहाँ के लोगों में खासी नाराजगी है। जयसूर्या का यह इंटरव्यू साबित करता है कि आँध्र प्रदेश में न केवल जनता बल्कि वहाँ के नेता भी पार्टी से असंतुष्ट हैं।