जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने और राज्य के विभाजन के खिलाफ वामदलों ने बुधवार को नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया। माकपा और भाकपा सहित अन्य वामदलों ने मंडी हाउस से संसद मार्ग तक पैदल मार्च किया।
माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) के महासचिव डी राजा, भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनॉय विश्वम, माकपा की वरिष्ठ नेता वृंदा करात सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया।
डी राजा ने कहा कि संविधान से अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू कश्मीर का विभाजन कर केन्द्र शासित क्षेत्र घोषित करने के सरकार के फैसले से संविधान, लोकतंत्र और संघीय ढाँचे की हत्या हुई है। उन्होंने कहा कि इसके विरोध में वामदलों के आह्वान पर बुधवार को आयोजित किए गए देशव्यापी आंदोलन के तहत दिल्ली में शांतिमार्च का आयोजन किया गया। साथ ही कविता कृष्णन ने विरोध में कुछ ज़्यादा ही आगे निकल गई और कह डाला “एक देश, एक संविधान तो है ही, लेकिन उसमें एक संविधान का मतलब ये नहीं है कि एक ही कानून पूरे देश में लागू हो!”
Oh god! What incompetence!!! ?????♂️
— Anuraag Saxena (@anuraag_saxena) August 7, 2019
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इस पर सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार ने तीन साल पहले कश्मीर के मामले में कोई भी फैसला करने से पहले सभी पक्षकारों से पर्याप्त विचार विमर्श करने का वादा किया था। लेकिन अब सरकार ने विचार विमर्श की प्रक्रिया में शामिल होने वाले पक्षकारों को जेल में डाल दिया। साथ ही समूचे इलाके की संचार सेवाएँ ठप कर इसे देश के अन्य इलाकों से अलग कर दिया। येचुरी ने कहा कि यह ना सिर्फ संघीय व्यवस्था बल्कि भारत की एकता और अखंडता के लिए चेतावनी है।