Sunday, November 17, 2024
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वामपंथियों ने लाल बहादुर शास्त्री को बताया था ‘अमेरिकी एजेंट’: PM मोदी ने कृषि कानून के विरोध को ‘हरित क्रांति’ से जोड़ा

"हरित क्रांति के समय जो सुधार हुए थे, उसे लेकर भी आंदोलन हुए। लाल बहादुर शास्त्री का यह हाल था कि कोई कृषि मंत्री बनने को तैयार नहीं था। लेकिन देश की भलाई के लिए शास्त्री जी आगे बढ़े। लेफ्ट पार्टी, जो इस समय भाषा बोलती है यही भाषा उस समय भी बोल रहे थे कि अमेरिका के इशारे पर कॉन्ग्रेस ऐसा कर रही रही है।"

तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रही राजनीति को देखते हुए सोमवार (8 दिसंबर, 2021) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वामपंथियों को जमकर लताड़ा। पीएम मोदी ने केंद्र द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों का दृढ़ता से बचाव किया, जोकि कृषि क्षेत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव लाएँगे।

देश के छोटे और सीमांत किसानों के फायदे को देखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाएगा। हालाँकि, विरोध में उतरे किसानों को लेकर पीएम ने कहा कि सरकार आपसे इस मामले में खुलकर बातचीत करने को भी तैयार है।

राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वामपंथी इकोसिस्टम द्वारा कृषि सुधारों के खिलाफ जमकर बाधाएँ पैदा करने की कोशिश की जा रही है, जैसा कि उन्होंने हरित क्रांति के वक्त भी किया था।

राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 1960 के दशक के मध्य में शुरू हुई हरित क्रांति और पिछले छह वर्षों में उनकी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि क्षेत्र सुधारों को एक समानांतर बताया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे वामपंथियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आलोचना की थी, जैसा अब वे हमारी सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों को शुरुआत करने से रोक रहे है।

गौरतलब है कि नेहरू की मृत्यु और भारत-चीन 1962 के युद्ध में हार के बाद, देश खराब समय का सामना कर रहा था, बड़े पैमाने पर भोजन की कमी, मानसून विफलताओं आदि के साथ, उस समय भारत PL 480 के तहत भोजन के लिए अमेरिकी सहायता पर निर्भर था। इस योजना के जरिए अमेरिका भारत को खाने का सामान भेजता था, ताकि भारतीय भूखे न रहें।

हालाँकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नई किस्मों (फसलों), हाइब्रिड, पौधों के प्रजनन, उर्वरकों और आधुनिक सिंचाई (जो कि हरित क्रांति का नेतृत्व किया) को लाकर इस खाद्य असुरक्षा को समाप्त करने का संकल्प लिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए, पीएम मोदी ने बताया कि कैसे कृषि सुधारों में सख्त फैसले लेने के लिए शास्त्री कैबिनेट में कोई कृषि मंत्रालय लेना ही नहीं चाहता था। उन दिनों कॉन्ग्रेस नेताओं में चुनौती लेने की हिम्मत नहीं थी। प्रधानमंत्री ने याद किया कि ‘हरित क्रांति’ के दौर में खाद्य सुरक्षा हासिल करने और कृषि क्षेत्र में सुधार लाने जैसे साहसी निर्णय लेने के लिए लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ उन्हीं की पार्टी में विरोध और लोगों का रोना चालू था।

मोदी ने कहा, “हरित क्रांति के समय जो सुधार हुए थे, उसे लेकर भी आंदोलन हुए। लाल बहादुर शास्त्री का यह हाल था कि कोई कृषि मंत्री बनने को तैयार नहीं था। लेकिन देश की भलाई के लिए शास्त्री जी आगे बढ़े। लेफ्ट पार्टी, जो इस समय भाषा बोलती है यही भाषा उस समय भी बोल रहे थे कि अमेरिका के इशारे पर कॉन्ग्रेस ऐसा कर रही रही है।”

उन्होंने बताया कैसे आज ही कि तरह उस दौरान भी कई विरोध आंदोलन हुए थे। वर्तमान में विरोध प्रदर्शनों को हवा देने वाले देश में वामपंथी इकोसिस्टम पर हमला करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि हरित क्रांति का विरोध करने के लिए वामपंथियों ने उसी भाषा का उपयोग किया था, जैसा वे अब कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने याद करते हुए कहा कि, कैसे हरित क्रांति के दौर में कॉन्ग्रेस के नेताओं को अमेरिका का एजेंट तक कह दिया जाता था। “मुझे भी आज वैसा ही बोला जाता है। देशभर में हजारों आंदोलन चल रहे थे। लेकिन शास्त्री जी ने जो किया आज उसी का परिणाम है कि देश अपनी मिट्टी में अनाज उगा रहा है। आज मुझे भी गाली दी जा रही है। कोई भी कानून आया हो, कुछ वक्त के बाद सुधार होते ही हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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