ये बात तो जगज़ाहिर है कि नेताओं के लिए कुर्सी का मोह सर्वोपरि होता है और इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने की जद्दोज़हद करते नज़र आते हैं। नेताओं का ये रंग खासकर चुनावी मौसम में खुलकर सामने आता है। जिन्होंने कभी गरीबी का मुँह नहीं देखा, जिन्हें जन्म से ही राज सुख मिला है और जिनका दिन एसी वाले कमरों में गुज़रता है, जो हमेशा महँगी गाड़ियों में ही घूमते हैं, ऐसे नेता अगर ख़ुद को आम आदमी बताते हैं या फिर दिखाने की कोशिश करते हैं तो अटपटा तो लगता ही है। ऐसा लगता है कि वो आम जनता के बीच जाकर, ख़ुद को आम आदमी बताकर, उन्हें ही बेवकूफ बनाते हैं। मगर ये कुर्सी कुछ भी करवा सकती है।
दरअसल, हम यहाँ पर बात कर रहें हैं कॉन्ग्रेस महासचिव पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गाँधी वाड्रा की। जो कि चुनावी रणनीति साधने में जुटी हुई हैं और इसके लिए वो खुद को आम जन साबित करने की भी पुरज़ोर कोशिश कर रही हैं। उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस की खोई हुई जमीन तलाशने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा बोट यात्रा के बाद अब ट्रेन यात्रा करेंगी। प्रियंका गाँधी राज्य में कॉन्ग्रेस पार्टी को खड़ा करने के लिए ट्रेन यात्रा के माध्यम से लोकसभा चुनाव में प्रचार करेंगी। प्रियंका ट्रेन के ज़रिए दिल्ली से कानपुर तक की यात्रा करेंगी। इस दौरान वो क़रीब आधा दर्जन सीटों को साधने की कोशिश करेंगी।
बता दें कि प्रियंका ने कुछ दिनों पहले ही बोट यात्रा के ज़रिए प्रयागराज से वाराणसी तक की यात्रा कर हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश की थी। इस दौरान उन्होंने गंगा पूजा तो की ही साथ ही गंगा जल पीकर भी जनता को बरगलाने की कोशिश की। इसके साथ ही प्रियंका ने प्रयागराज में हनुमान मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के बाद मिर्जापुर में विंध्यवासिनी माता के भी दर्शन किए। प्रियंका ये सब पैंतरा ख़ुद को आम जन साबित करने के लिए कर रही हैं। मगर हक़ीकत तो यही है कि सोने के पालने में पलने वाली राजकुमारी क्या जाने ग़रीबी और आम आदमी की तकलीफों को।
इतना ही नहीं प्रियंका हिंदू वोटरों को साधने के लिए अब अयोध्या जाने का भी कार्यक्रम बना रही हैं। आख़िरकार चुनावी माहौल में गाँधी परिवार को राम लला की भी याद आ ही गई। चूँकि चुनावी मैदान में राम मंदिर का मुद्दा गरमाया है, तो ऐसे में गाँधी परिवार को तो राम लला की याद आनी ही थी। काफी लंबे अरसे बाद गाँधी परिवार का कोई सदस्य अयोध्या में राम लला के दर्शन के लिए पहुँच रहा है। इसके लिए काशी में ज़मीन तैयार की गई है।
वैसे ग़ौर करने वाली बात तो ये भी है कि इस तरह की कोशिशें सिर्फ़ चुनाव के समय में ही क्यों नज़र आती है? क्यों सिर्फ़ चुनाव के समय में ही इनको आम आदमी की याद आती है और वो ख़ुद को आम जन दिखाने के लिए कई क़वायदें करते हैं। ख़ैर, ये तो सभी जानते हैं कि चुनावी मौसम के जाते ही ये किस तरह से अपना रंग बदलेंगे। चुनाव के बाद ना तो इनकी शक्लें दिखाई देंगी और ना ही ये आम आदमी वाला अवतार।