Monday, November 25, 2024
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मोदी 2014 Vs मोदी 2019: चुनाव प्रचार और रैली के मामले में 68 साल की उम्र में भी Josh High

पिछले 5 वर्षों में मोदी की लोकप्रियता में और इज़ाफ़ा ही हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि 2019 के मोदी के टक्कर में एक ही व्यक्ति है, और वो हैं 2014 वाले मोदी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस उम्र में भी चुनाव प्रचार के मामले में युवा नेताओं तक को टक्कर दे रहे हैं। प्रधानमंत्री इस वर्ष अपनी रैलियों से ख़ुद को ही चुनौती दे रहे हैं। 17 मई को इस लोकसभा चुनाव के सातों चरणों के चुनाव प्रचार ख़त्म हो जाएँगे और तब तक प्रधानमंत्री कुल 130 रैलियाँ कर चुके होंगे। हालाँकि, नरेंद्र मोदी ने सितम्बर 2013 से मई 10, 2014 तक 425 रैलियाँ की थी। इस वर्ष उन्होंने 28 मार्च को उत्तर प्रदेश स्थित मेरठ में अपनी रैली के साथ चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की। इस उम्र में भी मोदी एक दिन में औसतन 2 रैलियाँ कर रहे हैं, जिसकी तुलना उनके 2014 के परफॉरमेंस से की जा सकती है। कुछ दिन तो ऐसे होते हैं, जब प्रधानमंत्री मोदी 3 रैलियों को सम्बोधित करते हैं, वो भी 3 अलग-अलग राज्यों में।

जैसे कि अप्रैल का उदाहरण लीजिए। इस दिन पीएम मोदी ने बिहार के फारबिसगंज, पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर और उत्तर प्रदेश के एटा में रैलियाँ की, यानी एक दिन में तीन अलग-अलग राज्यों में तीन रैलियाँ। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने नाम न बताने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि प्रधानमंत्री 17 मई तक इस चुनाव में 130 रैलियों को सम्बोधित कर चुके होंगे। एचटी के इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक, मोदी के 2019 चुनाव प्रचार अभियान की बात करें तो उन्होंने अबतक 107 रैलियाँ सम्बोधित की हैं और उनके द्वारा 2 दर्जन और रैलियाँ सम्बोधित की जाने की संभावना है। अभी 2 चरणों का लोकसभा चुनाव बाकी है और 5 चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है।

नरेंद्र मोदी ने बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में प्रमुख रैलियों को सम्बोधित की। 4 मई को 5वें चरण के लिए चुनाव प्रचार की अंतिम तारीख़ थी और उस दिन प्रधानमंत्री ने बिहार में 1 और उत्तर प्रदेश में 2 रैलियों को सम्बोधित किया। बिहार के वाल्मिकीनगर और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ और बस्ती में उनकी जनसभाएँ हुईं। उनकी रैलियाँ मार्च में शुरू हुईं लेकिन उन्होंने किसी भी क्षेत्र को नहीं छोड़ा। पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत से लेकर उत्तर-पूर्वी राज्यों तक, मोदी ने हर जगह जनसभाएँ की। बंगाल, बिहार और यूपी में सातों चरणों में चुनाव हो रहे हैं। हिमाचल की 4 सीटों पर 19 मई को अंतिम चरण में चुनाव होंगे।

2014 में मोदी के गहन प्रचार अभियान का कमाल ही था कि भाजपा पिछले 32 वर्षों में अपने दम पर बहुमत पाने वाली पहली पार्टी बनीं। इस बार मोदी के प्रचार अभियान को लेकर 2 से 3 संसदीय क्षेत्रों के कई समूह तैयार किए गए हैं, जहाँ मोदी रैली करते हैं और वहाँ उन सभी संसदीय क्षेत्रों के भाजपा प्रत्याशी मंच पर उपस्थित रहते हैं। भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव का कहना है कि पिछले 5 वर्षों में मोदी की लोकप्रियता में और इज़ाफ़ा ही हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि 2019 के मोदी के टक्कर में एक ही व्यक्ति है, और वो हैं 2014 वाले मोदी।

भारत में जनता हमेशा अपने नायकों को अपने सामने देखना चाहती है, चाहे वो फ़िल्मी हीरो हों या मोदी जैसे लोकप्रिय बड़े नेता। उन्हें टीवी पर देखने और सामने मंच पर देखने में अलग-अलग बातें हैं। नरेंद्र मोदी अपनी एक रैली से किसी भी संसदीय क्षेत्र का चुनावी गणित बदलने की क्षमता रखते हैं और इस उम्र में भी उनका ये अथक प्रयास प्रेरणादायक है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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