समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 के रण के बीच लड़ाई में फंसती नजर आई। अखिलेश यादव इस लोकसभा चुनाव में पहले से ही कन्फ्यूज नजर आ रहे हैं, जिसकी वजह से कई लोकसभा सीटों पर तीन-तीन बार तक प्रत्याशी बदल चुके हैं, तो उन्हें परिवार का भी दबाव झेलना पड़ रहा है। ताजे मामले में अखिलेश यादव का कन्फ्यूजन और उन पर पड़ रहे परिवार के दबाव का असर भी दिख रहा है। समाजवादी पार्टी ने 2 प्रत्याशियों की नई लिस्ट जारी कर दी है। ये दोनों ही प्रत्याशी पुराने प्रत्याशियों की जगह पर घोषित किए गए हैं।
सपा की 2 नए प्रत्याशियों की घोषणा सुल्तानपुर और बदायूँ सीट के लिए हुई है। यहाँ से पहले घोषित उम्मीदवारों को बदला गया है। सुल्तानपुर से सपा ने भीम निषाद की जगह गोरखपुर के राम भुआल निषाद को मैदान में उतारा है। उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज रहे हैं, वो कई बार चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी चर्चा फिर कभी। अभी दूसरे उम्मीदवार आदित्य यादव के बारे में।
आदित्य यादव को बदायूँ से लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा गया है। अखिलेश यादव के लिए ये उम्मीदवार अनचाहा है, क्योंकि वो चाचा शिवपाल को ही यहाँ से लड़ाना चाहते थे, लेकिन शिवपाल यादव लगातार चुनाव लड़ने से इन्कार करते रहे और युवा प्रत्याशी की बात करते रहे। ऐसे में नामांकन के लिए जब समय कम बचा है, आखिर में अखिलेश यादव को झुकना पड़ गया और आदित्य यादव के नाम की घोषणा करनी पड़ी।
दरअसल, शिवपाल यादव के कई अनुरोधों के बावजूद इस सीट पर अखिलेश यादव अड़े हुए थे कि शिवपाल यादव ही इस सीट से चुनाव लड़ें। कई सप्ताह से दोनों नेता अड़े हुए थे। शिवपाल यादव चाहते थे कि पार्टी बदायूँ लोकसभा सीट से उनके बेटे आदित्य को टिकट दे। इसके लिए बाकायदा बदायूँ जिला से पार्टी पदाधिकारियों ने प्रस्ताव भी पास किया है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही थी।
बता दें कि समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच लड़ाई के दौरान अखिलेश यादव भारी पड़े थे। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियाँ एक हो गई। हालाँकि इसके बावजूद चाचा-भतीजा में पटरी नहीं बैठ रही है। बदायूँ सीट पर फैसले को लेकर इतना समय लगना बताता है कि परिवार और पार्टी में सबकुछ नहीं चल रहा। हालाँकि बदायूँ सीट पर अखिलेश यादव आखिर में अपनी हार मानते दिखे और आदित्य यादव के नाम की घोषणा कर दी।
दरअसल, चाचा-भतीजे में मनमुटाव की सुगबुगाहट पर विपक्षी भी चुटकी लेने लगे थे। शिवपाल और आदित्य यादव दोनों में से समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी कौन होगा इस विषय पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दुर्विजय सिंह शाक्य अपनी सभी जनसभाओं और नुक्कड़ सभाओं में कहते नजर आ रहे हैं कि भतीजे(अखिलेश) ने चाचा को बदायूं में फँसा दिया है और शिकंजा इतना कस दिया है कि चाचा निकल नहीं पा रहे हैं।
बता दें कि बदायूँ में चुनाव प्रचार के लिए शिवपाल यादव के साथ उनके बेटे आदित्य यादव भी घूम रहे थे। पहले दौर के बाद ही बदायूँ में आदित्य यादव के प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा होने लगी यह चर्चा समाजवादी के मंच से बदायूँ के नेता करने लगे। धर्मेंद्र यादव जब चाचा शिवपाल यादव के चुनाव प्रचार के लिए बदायूँ आए तो उन्होंने भी मंच से शिवपाल की जगह आदित्य यादव के लिए माहौल बनाया। शिवपाल यादव लगातार मीडिया से यही कहते नजर आ रहे हैं कि प्रत्याशी वह होंगे या उनका बेटा या कोई और समाजवादी पार्टी मजबूती से चुनाव लड़ेगी।
बहरहाल, बदायूँ को लेकर अखिलेश यादव की चुप्पी काफी कुछ कह रही थी। वो नहीं चाहते कि चुनावी माहौल में गलत मैसेज मतदाताओं में जाए, इसीलिए वो पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। वो मानकर चल रहे हैं कि बदायूँ पर परिवार का जोर काम कर गया, तो ठीक है, वर्ना एक सीट हार जाने में दिक्कत नहीं, लेकिन अगर इस तनातनी का असर पूरे यूपी पर पड़ गया, तो कहीं हालत 2019 जैसे न हो जाए। ऐसे में उन्होंने इस सीट को लेकर शिवपाल यादव की बात आखिर में मान ली और आदित्य यादव के नाम की घोषणा कर दी, साथ ही सूत्रों की मानें तो इस सीट की पूरी तरह से गारंटी लेने के लिए शिवपाल यादव को कह दिया गया है।