देश जब कारगिल युद्ध की 20वीं वर्षगाँठ मना रहा है, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पाठ्यक्रम से इस युद्ध से जुड़े चैप्टर को निकल बाहर किया है। राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार ने कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों की शौर्य गाथा पर आधारित चैप्टर को सिलेबस से न सिर्फ़ हटाया है, बल्कि इस क़दम को जायज ठहराने के लिए अजीबोगरीब तर्क भी दिए जा रहे हैं।
एमवीएम साइंस कॉलेज भोपाल के सबसे पुराने और बड़े कॉलेजों में से एक है। राज्य सरकार बदलते ही इस कॉलेज के सिलेबस से कारगिल शौर्यगाथा वाला हिस्सा हटा दिया गया है। वर्ष 2018-19 के सिलेबस में कारगिल युद्ध से जुड़ा चैप्टर था, जो 2019 -20 के सिलेबस से गायब है। पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए कॉलेज ने क़रीब 20 लोगों की एक टीम बनाई थी। फैसले के बचाव में कहा जा रहा है कि कारगिल युद्ध से जुड़ी किताबें नहीं मिल रही थीं, इसीलिए यह निर्णय लिया गया।
कॉलेज का कहना है कि कारगिल युद्ध पर आधारित अच्छे लेखकों की पुस्तकें नहीं हैं, जिस कारण इससे जुड़े चैप्टर को हटाना पड़ा। भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया है। भाजपा का कहना है कि इस युद्ध के वक़्त अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, इसलिए कॉन्ग्रेस इस युद्ध के बारे में छात्रों को शिक्षा नहीं देना चाहती है।
कांग्रेस/#कमलनाथ सरकार की रीति यह है कि #गांधी_परिवार के अलावा इतिहास के अन्य भाग को समाप्त किया जाये #कारगिल विजय के अध्याय को किताबों से हटाना आपत्तिजनक है#कांग्रेस ने सदैव क्रांतिकारियों/सैनिकों के बलिदानों को नगण्य माना है
— Vishvas Sarang (@VishvasSarang) July 15, 2019
मैं शून्यकाल में इस प्रश्न को लूंगा @BJP4India@ANI pic.twitter.com/hOTHu09bhQ
26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान पर विजय पाई थी। इस दिन को प्रत्येक वर्ष ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में भारतीय सेना के सैकड़ों जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस युद्ध पर कई फ़िल्में भी बन चुकी हैं।