मध्य प्रदेश में लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण रोकने का नया कानून लागू हो गया है। राज्य सरकार ने शनिवार (27 मार्च 2021) को ‘मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट, 2020’ का नोटिफिकेशन जारी किया। इस धर्मांतरण विरोधी कानून में शादी के बाद बलपूर्वक धर्म-परिवर्तन को गंभीर अपराध माना गया है और इसके लिए 10 वर्षों की सजा का प्रावधान किया गया है। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को बिल पर अपनी सहमति दी और अगले ही दिन आधिकारिक गैजेट में अधिनियम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
अधिनियम की प्रस्तावना में लिखा हुआ है कि यह अधिनियम धर्मांतरण के विरुद्ध धर्म की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है। इसके साथ ही विवाह, धमकी अथवा बलपूर्वक, लालच जैसे अवैध माध्यमों से धर्मांतरण को रोकता है।
अधिनियम की ‘धारा 3’ के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति बहलाकर, धमकी के माध्यम से, बलपूर्वक, विवाह के द्वारा एवं ऐसे ही अन्य माध्यमों से किसी अन्य व्यक्ति का धर्मांतरण नहीं करेगा। ‘धारा 5’ में धर्मांतरण के अपराध के लिए सजा का प्रावधान है जो कि कम से कम एक वर्ष और अधिक से अधिक 5 वर्ष है। नाबालिग, महिला तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों के संबंध में धर्मांतरण के लिए सजा की अवधि 10 वर्ष तक की हो सकती है। सामूहिक धर्मांतरण के लिए भी इस कानून में 10 साल तक की सजा तथा कम से कम एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
मध्य प्रदेश के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश भी धर्मांतरण विरोधी कानून लागू कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश में नवंबर 2020 में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश लाया गया था। उत्तर प्रदेश में भी व्यक्तिगत एवं सामूहिक धर्मांतरण पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।