Sunday, November 17, 2024
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22 मई से MP में ‘कोई नहीं होगा बेरोजगार’ योजना, 40 लाख मजदूरों को मिलेगा रोजगार

'कोई नहीं रहेगा बेरोजगार, सबको देंगे रोजगार' की शुरुआत 22 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल से करने जा रहे हैं। 52 जिलों में विधायक अपने-अपने जिलों में पंचायत स्तर पर इस अभियान के तहत मनरेगा मजदूरों को जॉब कार्ड बाँटेंगे। मई के आखिर तक मजदूरों को जॉब कार्ड दिए जाएँगे।

मध्यप्रदेश में मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ‘कोई नहीं होगा बेरोजगार, सबको मिलेगा रोजगार’ योजना शुरू करने जा रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक की। इस योजना से 40 लाख मजदूरों को मनरेगा में रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।

जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री चौहान ने भारत सरकार द्वारा घोषित आर्थिक निर्भरता पैकेज का लाभ प्रदेश में सुनिश्चित करने के लिए तैयारियाँ तत्काल करने के निर्देश दिए हैं। मनरेगा, शहरी पथ विक्रेता और छोटे उद्योगों के लिए पैकेज में महत्वपूर्ण रियायतें और योजनाएँ घोषित की गई हैं।

मजदूरों के बड़ी संख्या में प्रदेश लौटने पर अब सरकार का फोकस उन्हें काम दिलाने और आत्मनिर्भर बनाने पर है। यानी रोजमर्रा की जिंदगी चलाने के लिए मनरेगा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा

‘कोई नहीं रहेगा बेरोजगार, सबको देंगे रोजगार’ की शुरुआत 22 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल से करने जा रहे हैं। 52 जिलों में विधायक अपने-अपने जिलों में पंचायत स्तर पर इस अभियान के तहत मनरेगा मजदूरों को जॉब कार्ड बाँटेंगे। मई के आखिर तक मजदूरों को जॉब कार्ड दिए जाएँगे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में इस समय जरूरतमंद श्रमिकों को काम की आवश्यकता है, जिससे उनकी रोजी-रोटी का ठीक से प्रबंध हो सके। गृह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फैसला लिया है कि प्रदेश भर में मंदिरों की जितनी भी खाली जगह है, वहाँ तालाब बनवाया जाए।

इसमें मनरेगा मजदूरों को लगाया जाएगा। सरोवर के साथ ही बागीचा और मंदिरों में गौशालाएँ बनाई जाएँगी। मंदिर के साधु-संत और पुजारियों को देखभाल की जिम्मेदारी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि इसके लिए ग्रामीण विकास और पशुपालन विभाग संयुक्त रूप से कार्यवाही करें।

इसके साथ ही सीएम ने निर्देश दिए कि मनरेगा के अंतर्गत ऐसी संरचनाएँ निर्मित की जाएँ, जिनमें बारिश में भी कार्य संभव हो सकें। हर जरूरतमंद को कार्य मिले। इन कार्यों में मशीनों का प्रयोग न किया जाए। इसके साथ ही स्थायी प्रभाव वाले कार्य सम्पन्न हों। स्टॉप डैम, चेक डैम, सरोवर निर्माण, खेत तालाब, मेड़ बंधान, नंदन फलोद्यान जैसे कार्य करवाए जाएँ। स्थानीय श्रमिकों के साथ ही बाहर के श्रमिकों को भी जॉब कार्ड प्रदान किए जाएँ।

नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि अब कोई भी सामान जो देश में बनता है, विदेश से नहीं मँगाया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बैठक में प्रजेंटेशन में बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 20 लाख से अधिक श्रमिकों को मनरेगा कार्यो से रोजगार का बड़ा सहारा मिल रहा है।

यहाँ तक कि साढ़े सत्रह हजार दिव्यांग भी कार्यों से जुड़े हैं। प्रति ग्राम पंचायत औसतन 90 श्रमिक काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले वर्ष करीब 10 लाख श्रमिक ही मनरेगा कार्यों से जुड़े थे। इस वर्ष इनकी संख्या बढ़कर 20 लाख यानी दोगुनी हो गई है। वहीं 1,12,000 छोटे व्यापारियों की पहचान की गई है, जिन्हें 10,000 रुपए का ऋण दिया जाएगा

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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