मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता संदीप पांडेय को कुछ देर के लिए हाउस अरेस्ट कर के रखा गया। उन्होंने अनुच्छेद 370 पर भारत सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के विरोध में कैंडल मार्च निकालने की योजना बनाई थी। पांडेय का कहना था कि ये कैंडल मार्च जम्मू कश्मीर की जनता के समर्थन में निकाला जाएगा। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि जम्मू कश्मीर में संचार व्यवस्था जबरन रोक दी गई है। डॉक्टर पांडेय की पत्नी अरुंधति धुरु ने दावा किया कि उनके घर के बाहर पुलिस है जो उन्हें बाहर नहीं जाने दे रही।
बाद में उन्होंने बताया कि शाम 4 बजे पुलिस दल उनके घर के बाहर से चला गया। पांडेय ने लखनऊ के हजरतगंज स्थित गाँधी प्रतिमा के पास जम्मू कश्मीर पर सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी और इसके लिए रविवार (अगस्त 11, 2019) को शाम 6 बजे का समय का समय मुक़र्रर किया था।
यूपी के संगठन रिहाई मंच के सदस्य राजीव यादव ने कहा कि डॉक्टर पांडेय ने पुलिस को जानकारी दी थी कि बकरीद और स्वतन्त्रता दिवस पर सुरक्षा व्यवस्था की चिंताओं के मद्देनजर इस विरोध प्रदर्शन को 16 अगस्त तक स्थगित कर दिया था। यादव ने आरोप लगाया कि पुलिस को इस बात की सूचना देने के बावजूद उन्हें हाउस अरेस्ट पर रखा गया।
सामाजिक कार्यकर्ता और मैगसेसे पुरस्कार विजेता #संदीपपांडेय को अगस्त 11 को घर में नजरबंद कर दिया गया। दरअसल उन्होंने #जम्मूएवंकश्मीर से #अनुच्छेद370 को हटाए जाने और घाटी में जारी बंदी के विरोध में अगस्त 11 को धरना देने की घोषणा की थी, जिसके बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया। pic.twitter.com/79QOwlJv7H
— IANS Tweets (@ians_india) August 11, 2019
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब ने कहा कि विरोध प्रदर्शन स्थगित करने के लिए पुलिस उन लोगों पर दबाव बना रही थी। हालाँकि, इस सम्बन्ध में यूपी पुलिस का कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है। बता दें कि रिहाई मंच इससे पहले आतंकवाद के आरोपितों की पैरवी भी कर चुका है। मंच द्वारा कई आतंकवाद के आरोपितों के लिए लीगल सलाह व अन्य मदद दी जा चुकी है। रिहाई मंच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषणों को लेकर भी नकारात्मकता फैलाता रहा है।
रिहाई मंच इससे पहले विवादों में तब आया था जब बीएचयू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में बाधा पहुँचाने वाले और ‘मोदी गो बैक’ के नारे लगाने वाले छात्रों को सम्मानित किया था। रिहाई मंच ने उन छात्रों के समर्थन में नारे भी लगाए थे। जिस प्रकरण को बीएचयू के वीसी ने युनिवर्सिटी के लिए शर्म की बात बताया, रिहाई मंच ने उसी प्रकरण को अंजाम देने वालों का सम्मान किया था।