राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने महाराणा प्रताप से जुड़ी ऐतिहासिक संघर्ष की कहानी को हटाते हुए उसमें विवादित संशोधन किया है। राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) की वेबसाइट में मौजूद कक्षा-10 की सामाजिक विज्ञान की ई-पाठ्यपुस्तक के दूसरे पाठ ‘संघर्षकालीन भारत 1206AD-1757AD’ में कहा गया है कि 16वीं सदी में मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप में शत्रुतापूर्ण परिस्थितियों में एक सैन्य कमांडर के रूप में धैर्य, नियंत्रण और योजना की कमी थी।
सामाजिक विज्ञान की किताब के दूसरे पाठ ‘संघर्षकालीन भारत 1206AD-1757AD’ में लिखा है, “सेनानायक में प्रतिकूल परिस्थितियों मे जिस धैर्य, संयम और योजना की आवश्यकता होनी चाहिए, प्रताप में उसका अभाव था।”
प्रताप के ऐसिहासिक शौर्य के किस्सों से छेड़खानी
यह पाठ महाराणा प्रताप और मुगल राजा अकबर के बीच लड़ी गई हल्दीघाटी की लड़ाई के बारे में है। पाठ में कहा गया है कि मुग़ल सेना पहाड़ी इलाकों में लड़ने के लिए निपुण नहीं थी, जबकि मेवाड़ सेना खुले मैदान में लड़ने के लिए सक्षम नहीं थी। आगे कहा गया है कि जब मुगल सेना पीछे हटने लगी तो प्रताप की सेना उनका पीछा करते हुए बादशाह बाग़ मैदान में पहुँच गई और इसके परिणाम महाराणा प्रताप के लिए प्रतिकूल थे।
हल्दीघाटी का युद्ध आमेर के राजा मान सिंह के नेतृत्व में महाराणा प्रताप और अकबर की सेनाओं के बीच लड़ा गया था। महाराणा प्रताप की सेना ने हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर पर विजय प्राप्त की थी।
महाराणा प्रताप से जुड़ी ऐतिहासिक संघर्ष की कहानी को हटाया
मेवाड़ के पूर्ववर्ती शाही परिवार, जो महाराणा प्रताप के वंशज हैं, ने कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में किए गए संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताई है। शाही परिवार ने माँग की है कि राज्य शिक्षा बोर्ड या तो पाठ्यपुस्तक में किए गए दावों को प्रमाणित करने के सबूत प्रदान करे या फिर पुस्तक से विवादित सामग्री को तुरंत हटाए।
प्रताप के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने साफ किया कि महाराणा प्रताप के जीवन के ऐतिहासिक पहलुओं को किताब से हटाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जिन पहलुओं को समाजिक विज्ञान के वर्ष 2020 के संस्करण हटाया गया है, वो तथ्य आने वाली पीढ़ी के बच्चों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने पाठ्यक्रम मंडल के सदस्यों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते जल्दबाजी में पाठ्यक्रम में बदलाव करना पड़ा, जबकि पाठ्यक्रम में बदलाव हुए कुछ वर्ष ही हुए हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। अशोक गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के 6 महीने के भीतर स्कूल की तमाम किताबों में बदलाव किया था।
राजस्थान सरकार ने कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर वाले चैप्टर में सावरकर के नाम के आगे से ‘वीर’ हटा दिया था। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि कॉन्ग्रेस की नज़र में सावरकर, वीर नहीं हैं और अब महाराणा प्रताप के शौर्य के किस्सों को हटाकर उनके बारे में विवादित चीजें प्रकाशित की जा रही है।