Friday, November 15, 2024
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महाराष्ट्र में अर्बन नक्सलियों के खिलाफ विधेयक विधानसभा में पेश, वामपंथी आतंकवाद को ‘बुद्धिजीवी’ बन कर प्रश्रय देने वालों की अब खैर नहीं

इस बिल में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे किसी भी संगठन की बैठकों या सभाओं में प्रतिबंधित संगठन का कोई सदस्य किसी भी माध्यम से भाग लेता है या मदद करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल की सज़ा के साथ-साथ 3 लाख रुपए तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

महाराष्ट्र सरकार अर्बन नक्सलियों के खिलाफ कानून बनाने जा रही है, जिसका मसौदा विधानसभा में भी पेश गया है। ‘महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी बिल, 2024’ के लागू होने के बाद से नक्सलियों के इकोसिस्टम में शामिल ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी जो ‘बुद्धिजीवी’ कहलाने की आड़ में बचते फिरते हैं। इसमें बताया गया है कि मुखौटा संगठनों के जरिए शहरी क्षेत्रों में नक्सली अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं। ये सशस्त्र नक्सलियों को शरण देते हैं, उन्हें संसाधन मुहैया कराते हैं।

नक्सलियों के पास से जब्त किए गए साहित्यों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में उनके कई गुप्त ठिकाने हैं। जो लोग अपना घर इन नक्सलियों को रहने के लिए देते हैं, वो सोशल मीडिया और आमजनों के बीच नक्सली विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं, यानी सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की आग जला रहे हैं और ये देश के खिलाफ है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा ऐसे 48 संगठनों को पहले ही प्रतिबंधित कर चुके हैं। अक्टूबर में इसी साल महाराष्ट्र में चुनाव भी होने हैं।

इस बिल में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे किसी भी संगठन की बैठकों या सभाओं में प्रतिबंधित संगठन का कोई सदस्य किसी भी माध्यम से भाग लेता है या मदद करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल की सज़ा के साथ-साथ 3 लाख रुपए तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। राज्य सरकार ऐसे संगठनों को चिह्नित करने के लिए एक सलाहकार समिति का गठन करेगी। इसके कानून बनने के बाद पुलिस शक के आधार पर किसी भी परिसर में घुस कर नक्सली विचारधारा वाले साहित्य को जब्त कर सकती है।

साथ ही अर्बन नक्सलियों की संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान है। ऐसे संगठनों को प्रतिबंधित किए जाने का आदेश उसके अधिकारियों को दिया जाएगा वरना दफ्तर के बाहर चस्पाया जाएगा, दफ्तर न होने की स्थिति में अख़बारों में ये नोटिस छपेगा। सरकार द्वारा गठित एडवाइजरी बोर्ड में एक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज भी होंगे। किसी प्रतिबंधित संगठन या उसके सदस्य की वित्तीय मदद करने पर भी जेल होगी। कोई संगठन नाम बदल कर भी नहीं बच सकता, क्योंकि जब तक वो ऐसी गतिविधियों में शामिल रहेगा वो प्रतिबंधित रहेगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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