चुनाव का मौसम है। लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है और बहुत हद तक कई पार्टियों द्वारा अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जा चुकी है। ऐसे में दल बदल से लेकर बाग़ी तेवर अपनाने तक नेतागण कई हथकंडे आज़मा रहे हैं। कभी कोई नेता अपने समर्थकों सहित पल भर में दूसरी पार्टी में शामिल हो जा रहा है तो कोई अपनी ही पार्टी के ख़िलाफ़ बयान दे रहा है। लेकिन कॉन्ग्रेस के एक विधायक ने कुछ अलग ही तरीका अपनाया। औरंगाबाद से टिकट की आस लिए कॉन्ग्रेस विधायक अब्दुल सत्तार पर पार्टी ने भरोसा नहीं जताया और सुभाष झंबाद को टिकट दे दिया। इस से नाराज़ विधायक ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर जो किया, उस से कॉन्ग्रेस के अन्य नेता भी एक पल के लिए चौंक गए।
नाराज़ कॉन्ग्रेस विधायक अब्दुल सत्तार ने अपने समर्थकों की मदद से कॉन्ग्रेस दफ़्तर की साड़ी कुर्सियाँ ही उठवा लीं। उन्होंने कॉन्ग्रेस कार्यालय से 300 के क़रीब कुर्सियों को गायब करा दिया। सिलोद से विधायक अब्दुल पार्टी पहले ही छोड़ चुके हैं। कुर्सियाँ उठवाने के पीछे कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पर उनका मालिकाना हक़ है और चूँकि वे पार्ट छोड़ चुके हैं, तो उन्होंने अपनी कुर्सियाँ ले लीं। उन्होंने कहा, “हाँ, ये कुर्सियाँ मेरी थीं और मैंने कॉन्ग्रेस की बैठकों के लिए इन्हें उपलब्ध कराया था। अब मैंने पार्टी छोड़ दी है और इसलिए अपनी कुर्सियाँ भी ले ली हैं। जिन्हें टिकट मिला है, वे व्यवस्था करें।” विधायक के इस रवैये के कारण कॉन्ग्रेस की बैठक राकांपा के दफ़्तर में हुई।
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— Anuraag Saxena (@anuraag_saxena) March 27, 2019
कॉन्ग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी झंबाद ने कहा कि सत्तार को जरूरत होगी, इसलिए कुर्सियाँ ले गए हैं। उन्होंने कहा कि वो लोग निराश नहीं हैं। सुभाष झंबाद ने बताया कि अब्दुल अभी भी कॉन्ग्रेस में हैं क्योंकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। बाद में सत्तार ने कहा कि उन्हें अब कॉन्ग्रेस ने लोकसभा टिकट देने का आश्वासन दिया है। सत्तार ने कहा कि कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने उन्हें औरंगाबाद या जलना से टिकट देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने कॉन्ग्रेस छोड़ने की घोषणा की है, तभी से पार्टी के आला नेता उनसे संपर्क में हैं और उन्हें टिकट ऑफर कर रहे हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ही पार्टी आलाकमान पर दबाव बढ़ाने के लिए अब्दुल सत्तार से ये उलटी-सीधी हरकतें करवा रहे हैं। इसे चव्हाण और राज्य में कॉन्ग्रेस प्रभारी मुकुल वासनिक के बीच के द्वन्द से जोड़ा जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि चव्हाण ने अब्दुल से इस्तीफा दिलाकर कॉन्ग्रेस आलाकमान को साफ़ कर दिया है कि उम्मीदवारों के चयन में उनकी भूमिका प्रमुख होनी चाहिए। विधायक अब्दुल को पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण का क़रीबी माना जाता है। उन्होंने भाजपा नेताओं से बातचीत भी शुरू कर दी थी और कहा था कि दिल्ली में बैठे कॉन्ग्रेस के नेता चव्हाण का सम्मान नहीं कर रहे।
‘द हिन्दू’ के सूत्रों का मानना है कि विधायक अब्दुल ख़ुद को टिकट न मिलने की स्थिति में शिवसेना नेता चंद्रकांत को हराने के लिए कन्नड़ से विधायक हर्षवर्धन जाधव को टिकट दिलवाना चाहते थे। जाधव प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रावसाहिब दान्वे के दामाद हैं। अब्दुल जाधव को टिकट दिलवा कर रावसाहिब को मराठवाड़ा में चित करने का सपना पाल रहे थे। इसके अलावा अब्दुल ने जलना में रावसाहिब को नीचा दिखाने के लिए उनके प्रतिद्वंदी माने जाने वाले शिवसेना नेता अर्जुन खोटकर को कॉन्ग्रेस में शामिल करने का भी प्रयास किया था लेकिन वो विफल हो गए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रावसाहिब और खोटकर के बीच सुलह करा दी।