तीन राजनीतिक दलों के गठबंधन से बनी महाराष्ट्र की महाविकास अगाड़ी सरकार का हिन्दू विरोधी चेहरा छुपा नहीं रहा है। चाहे वह कॉन्ग्रेस और एनसीपी हो या शिवसेना, इस सरकार ने हिन्दू संबंधी तमाम मुद्दों को हाशिये पर रखा है। ताज़ा मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जो महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बयान से समझा जा सकता है। अजित पवार ने अपने बयान में कहा है कि दीवाली के दौरान बहुत भीड़ हुई थी और गणेश चतुर्थी के समय भी यही हालात थे।
हिन्दू त्यौहारों को निशाना बनाते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा, “दीवाली के दौरान काफी ज़्यादा भीड़ देखी गई थी और यही स्थिति गणेश चतुर्थी के वक्त भी बनी हुई थी। हम इस मुद्दे पर संबंधित विभागों से चर्चा कर रहे हैं, आगामी 8-10 दिनों तक हालातों की समीक्षा करेंगे। उसके बाद ही लॉकडाउन को लेकर कोई उचित कदम उठाएँगे। फ़िलहाल महामारी का ख़तरा बना हुआ है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही करना ख़तरे से खाली नहीं होगा।”
During Diwali, there was a huge crowd as if Corona itself died due to heavy crowd. Now there are predictions that 2nd wave may come. Govt has made a lot of regulations to start schools which includes different ways as to how they should be sanitized: Maharashtra Deputy CM https://t.co/P4VxVnZYhF
— ANI (@ANI) November 22, 2020
इसके बाद अजित पवार ने कहा, “दीवाली के दौरान बहुत ज्यादा भीड़ इकट्ठा हो गई थी जैसे कि कोरोना वायरस भीड़ की वजह से ख़त्म हो जाएगा। अब इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि महामारी की दूसरी लहर आ सकती है। सरकार ने विद्यालय शुरू करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, जिसमें उन्हें सैनेटाइज़ करने के तमाम तरीके भी शामिल किए गए हैं। जल्द ही महाराष्ट्र सरकार महामारी को मद्देनज़र रखते हुए बनाए गए दिशा-निर्देशों का क्रियान्वन शुरू कर देगी।”
हैरानी की बात यह है कि महाराष्ट्र की तथाकथित धर्म निरपेक्ष और उदारवादी सरकार अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक समारोहों पर टिप्पणी नहीं करती है। अन्य धर्मों के आयोजनों में भी काफी भीड़ इकट्ठा होती है लेकिन फिर भी प्रदेश की सरकार को एक ही धर्म के त्यौहार नज़र आए। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री द्वारा कही बात खुद में कितनी हास्यास्पद है कि दीवाली और गणेश चतुर्थी में भीड़ नज़र आई।