महाराष्ट्र में विधान परिषद की 11 सीटों के लिए मतदान जारी है। शुक्रवार (12 जुलाई) की सुबह 9 बजे से विधान भवन कॉम्प्लेक्स में वोटिंग हो रही है, जिसमें दोपहर 2 बजे तक 270 विधायक वोट डाल चुके हैं। ये वोटिंग शाम 4 बजे तक चलेगी, जिसकी गिनती शाम 5 बजे की जाएगी।
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में जीत के लिए एक कैंडिडेट को 23 विधायकों के वोट चाहिए। इनमें बीजेपी के 103, शिवसेना (शिंदे गुट) के 38, एनसीपी (अजित गुट) के 42, कॉन्ग्रेस के 37, शिवसेना (यूबीटी) के 15 और एनसीपी (शरद पवार) के 10 विधायक हैं। विधान परिषद के 11 सदस्य 27 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। इनकी जगह भरने के लिए 11 सीटों पर 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा में अभी 274 विधायक हैं, जो इनके लिए वोट कर रहे हैं। अब सिर्फ 4 विधायक वोटिंग के लिए बचे हैं।
महाराष्ट्र में सत्ता संभाल रही महायुति ने चुनाव में 9 कैंडिडेट उतारे हैं। इसमें बीजेपी ने सबसे ज्यादा 5 कैंडिडेट खड़े किए हैं। वहीं, अजित पवार की एनसीपीऔर शिवसेना शिंदे गुट ने दो-दो कैंडिडेट उतारे हैं। विपक्ष में बैठी महाविकास अघाड़ी के 3 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसमें कॉन्ग्रेस और शिवसेना- यूबीटी ने 1-1 कैंडिडेट खड़ा किया है, जबकि शरद पवार की एनसीपी-एसपी शेतकरी कामगार पक्ष के उम्मीदवार जयंत पाटिल का समर्थन कर रही है। जयंत पाटिल अभी एमएलसी हैं।
बीजेपी विधायक की वोटिंग का विरोध
शिंदे गुट के नेता महेश गायकवाड़ पर पुलिस स्टेशन में फायरिंग करने वाले बीजेपी विधायक गणपत गायकवाड़ भी मतदान करने विधान भवन पहुँचे। उन्हें मतदान के लिए कोर्ट से परमिशन मिली थी। कॉन्ग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) उनकी वोटिंग का विरोध कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस ने विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखकर गायकवाड़ को मतदान के लिए रोकने की माँग की है।
शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि साल 2022 में विधान परिषद के चुनाव में एनसीपी के विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख को मतदान की अनुमति नहीं दी गई थी। ऐसे में महेश को भी वोटिंग की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। हालाँकि वो अनुमति लेकर विधान भवन पहुँचे हैं। महेश गायकवाड़ कल्याण (पूर्व) विधानसभा क्षेत्र के विधायक है। उन्हें फरवरी में पुलिस स्टेशन के अंदर एक शिवसेना नेता पर गोली चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
बता दें कि एमएलसी चुनाव को देखते हुए रिजॉर्ट पॉलिटिक्स एक बार फिर से चर्चा में लौट आई। तमाम दलों ने अपने विधायकों में एकजुटता बनाए रखने के लिए रिजॉर्ट्स में रखा और फिर सभी विधायक वोटिंग के लिए पहुँचे। याद दिला दें कि ऐसी ही रिजॉर्ट पॉलिटिक्स के बीच शिवसेना टूट गई थी और उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी, जिसके बाद एकनाथ शिंदे की अगुवाई में नई सरकार बनी।