महाराष्ट्र में चल रही सत्ता की खींचतान में भारतीय जनता पार्टी के हर ओर के क्षत्रप अब मुखर होकर शिव सेना की आलोचना करने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री और बिहार के कद्दावर भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने एक फोटो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की है, जिसमें शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे को भाजपा के पितृ पुरुषों के साथ चर्चा करते हुए दिखाया गया है।
बाला साहेब के वर्षों की तपस्या ने सनातनियो को महाराष्ट्र में एक उम्मीद और पहचान दिया ..आज हिंदुत्व विरोधियों के साथ जाता देख बाला साहेब और शिवसैनिक कराह रहे होंगे।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 11, 2019
इतिहास गवाही देगा की कैसे बालासाहेब ने सबको एक किया और कुछ ने सबको बिख़ेर दिया । pic.twitter.com/mYMBvKBdTx
इस फोटो के साथ गिरिराज सिंह ने कैप्शन में लिखा है, “बाला साहेब के वर्षों की तपस्या ने सनातनियों को महाराष्ट्र में एक उम्मीद और पहचान दिया…आज हिंदुत्व विरोधियों के साथ जाता देख बाला साहेब और शिवसैनिक कराह रहे होंगे। इतिहास गवाही देगा की कैसे बाला साहेब ने सबको एक किया और कुछ ने सबको बिख़ेर दिया।”
साफ ज़ाहिर है कि उनके निशाने पर बाला साहेब के सपूत और वर्तमान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे हैं, जिन्होंने भाजपा के साथ शिवसेना का 30 साल पुराना गठबंधन लगभग खत्म कर दिया है। वे अड़े हैं कि भाजपा के साथ सरकार तभी शिवसेना बनाएगी जब उसे ढाई साल के लिए सीएम की कुर्सी और आधे-आधे मंत्रालय मिलेंगे, जबकि उनकी सीटें (56) भाजपा के 105 विधायकों से आधी के आसपास है। ऐसा न होने की सूरत में शिवसेना भाजपा को धमकी दे रही है कि वह 44 विधायकों वाली कॉन्ग्रेस और 54 विधायकों वाली राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ भी सरकार बना सकती है। शिवसेना और एनसीपी हमेशा से महाराष्ट्र के मराठा अस्मिता के वोट बैंक के प्रतिद्वंद्वी दावेदार रहे हैं, और भाजपा के साथ होने और हिंदूवादी होने के चलते कॉन्ग्रेस ने भी शिवसेना को ख़ासा अपमानित किया था।
इसके बारे में शिवसेना की सफाई है कि भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उसे 50-50 फॉर्मूले के तहत ढाई साल के लिए सीएम की कुर्सी और आधे-आधे मंत्रालय का वादा करके मुकर गए हैं, क्योंकि परिणामों में भाजपा की सीटें बहुत अधिक आ गईं थीं। लेकिन उसने इसके पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं किया है। वहीं, चुनावी नतीजों के दो हफ्ते बाद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने दावा किया कि कोई डील हुई ही नहीं थी और भाजपा 50-50 फॉर्मूले पर तैयार नहीं है।