महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्री नवाब मलिक राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल पाएँगे। हाई कोर्ट ने उन्हें इसके लिए जेल से रिहाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। दूसरी ओर सत्ताधारी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के उम्मीदवार को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का समर्थन मिलने को लेकर भी राजनीति गरमा गई है।
महाराष्ट्र की 6 राज्यसभा सीटों के लिए शुक्रवार (10 जून 2022) को वोट डल रहे हैं। AIMIM ने इस चुनाव में एमवीए की साझेदार कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी को वोट देने का ऐलान किया है। इसके बाद राज ठाकरे की मनसे ने कहा है कि इस समर्थन ने शिवसेना के छद्म हिन्दुत्व को उजागर कर दिया है।
MNS प्रवक्ता गजानन काले ने कहा, “शिवसेना का छद्म हिंदुत्व उजागर हो गया है। वे (शिवसेना) AIMIM का समर्थन लेने से नहीं हिचकिचाते हैं, जो निजाम के सीधे वंशज हैं।” काले ने कहा कि MVA ने राज्यसभा चुनाव के लिए AIMIM की मदद लेकर लोगों के हितों को पीछे छोड़ दिया है। इससे पहले AIMIM के महाराष्ट्र अध्यक्ष इम्तियाज जलील ने कहा था, “भाजपा को हराने के लिए हमारी पार्टी (AIMIM) ने महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के लिए महाविकास अघाड़ी के लिए वोट देने का फैसला किया है। महाराष्ट्र के हमारे दो AIMIM विधायकों को कॉन्ग्रेस उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी के लिए वोट देने को कहा गया है।”
“राज्याची शोभा” होईल अशी ही राज्यसभा निवडणूक सुरू आहे.
— Gajanan Kale (@GajananKaleMNS) June 10, 2022
जनता असंख्य अडचणींचा सामना करत असताना सत्ताधाऱ्यांचा पंचतारांकित निवडणुकीचा खेळ सुरू आहे.
त्या निजामाची अवलाद एमआयएमची मदत घेऊन जनाची नाही पण मनाचीही महाविकास आघाडीने सोडली आहे तर शिवसेनेचं नकली,ढोंगी हिंदुत्व उघडं पडलं आहे.
नवाब मलिक को कोर्ट का झटका
इस बीच मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद NCP नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) ने महाराष्ट्र राज्यसभा चुनाव में वोट देने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombey High Court) में याचिका दायर कर शुक्रवार (10 जून 2022) को एक दिन के लिए जमानत माँगी थी। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए उन्हें PMLA कोर्ट के पास जाने को कहा।
उल्लेखनीय है कि PMLA कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर NCP नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख को वोट डालने से रोक दिया था। इसके खिलाफ दोनों नेताओं ने हाई कोर्ट का रुख किया था। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने याचिकाओं को लेकर जनप्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए कहा था कि कैदियों के पास मतदान का अधिकार नहीं है।