क्या ममता बनर्जी की पार्टी TMC की रणनीति अब राजदीप सरदेसाई तैयार कर रहे हैं? ये सवाल इसीलिए उठ रहा है क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसा किया है, जिसकी भविष्यवाणी राजदीप सरदेसाई ने पहले ही कर दी थी। मामला शनिवार (27 जुलाई, 2024) को हुई नीति आयोग की बैठक से जुड़ा है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। विपक्ष के कई मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक का बहिष्कार किया, जबकि आम जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए नीति आयोग के साथ समन्वय आवश्यक है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री MK स्टालिन, केरल के पिनाराई विजयन, कर्नाटक के सिद्दारमैया, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और पंजाब के CM भगवंत मान ने इस बैठक का बहिष्कार किया। हालाँकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नई दिल्ली में हुई इस बैठक में पहुँचीं तो ज़रूर, लेकिन वो बीच मीटिंग में ही इसका बॉयकॉट करते हुए निकल गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बात नहीं सुनी गई, उनका माइक ऑफ कर दिया गया था।
बता दें कि राजदीप सरदेसाई ने हाल ही में ‘द लल्लनटॉप’ के कार्यक्रम ‘नेता नगरी’ में कहा था, “ये संघीय देश है। विपक्ष के मुख्यमंत्री इसमें नहीं जा रहे हैं, मुझे लगता है सिर्फ ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन इसमें जाएँगे। ऐसा चर्चा है कि वो अपनी बात रख कर वॉकआउट भी कर सकते हैं। ये खतरनाक है। ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। हम चाहते हैं कि सारे मुख्यमंत्री एक साथ बैठें।” उन्होंने नीति आयोग की इस बैठक के ठीक 1 दिन पहले ये बात कही थी।
Yesterday @SardesaiRajdeep said that Mamata Banerjee will walk out of NITI Aayog meeting.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) July 27, 2024
Today Mamata Banerjee did theatrics and walked out of the meeting as Rajdeep said.
Remember, Rajdeep's wife is TMC MP and this drama of Mamata has been planned from before. https://t.co/IViO6pygzb pic.twitter.com/zzkOPe7DkB
तृणमूल कॉन्ग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने ठीक वैसा ही किया है, जैसा राजदीप सरदेसाई ने कहा था। यहाँ एक और बात ध्यान में रखने लायक है कि ‘इंडिया टुडे’ के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई की पत्नी सागरिका घोष TMC से ही राज्यसभा सांसद हैं। सागरिका घोष भी इससे पहले ‘पत्रकार’ ही हुआ करती थीं। अब वो TMC की तरफ से विपक्षी प्रपंच का हिस्सा बनती हैं। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को 20 मिनट बोलने का मौका दिया गया, जबकि उन्हें मात्र 5 मिनट।