त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की थी। हालाँकि, चुनाव परिणाम आने के बाद से मुख्यमंत्री पद के लिए संशय बना हुआ था। लेकिन, अब यह संशय खत्म हो गया है। डॉक्टर माणिक साहा (Manik Saha) एक बार फिर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। सोमवार (6 मार्च, 2023) हुई विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया।
दरअसल, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के परिणाम 1 मार्च 2023 को सामने आए थे। इसके दो दिन बाद यानी 3 मार्च को माणिक साहा ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था। इसके बाद से एक ओर जहाँ मुख्यमंत्री पद के लिए पूर्व सीएम बिपल्ब कुमार देब का नाम सामने आ रहा था। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक हल्के में प्रतिमा भौमिक के नाम की भी चर्चा थी। लेकिन विधायक दल की बैठक बल में माणिक साहा के नाम पर मुहर लग गई।
আজ প্রদেশ বিজেপির নির্বাচনী কার্য্যালয়ে পরিষদীয় দলের বৈঠক অনুষ্ঠিত হয় এবং @DrManikSaha2 মহোদয় পুনরায় পরিষদীয় দলের নেতা হিসেবে নির্বাচিত হন।
— BJP Tripura (@BJP4Tripura) March 6, 2023
উক্ত বৈঠকে প্রদেশ বিজেপি সভাপতি শ্রী @Rajib4BJP মহোদয় সহ অন্যান্য পদাধিকারীগণ অংশগ্রহণ করেন। pic.twitter.com/2yzD47G0jI
बता दें कि त्रिपुरा में शपथ ग्रहण समारोह होली के दिन यानी बुधवार (8 मार्च, 2023) को होना है। शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई दिग्गज नेताओं के पहुँचने की बात कही जा रही है। इसके अलावा, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पहुँचने की भी संभावना है।
गौरतलब है कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के मतदान 16 फरवरी को हुआ था। परिणाम 1 मार्च को सामने आए। इसमें त्रिपुरा विधानसभा की 60 सीटों में से 32 सीटें हासिल कर भाजपा ने स्पष्ट बहुत प्राप्त किया था। यही नहीं, भाजपा के सहयोगी दल इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के खाते में एक सीट गई थी। वहीं, वशंज प्रद्योत किशोर देबबर्मा की पार्टी टिपरा मोथा पार्टी को 13 और कम्युनिस्ट-कॉन्ग्रेस गठबंधन ने 14 सीटें मिली थीं। कुल मिलाकर देखें तो त्रिपुरा में अब 33 सीटों के साथ भाजपा गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।
बता दें कि त्रिपुरा के तत्कालीन सीएम बिपल्ब कुमार देब ने मई 2014 में अचानक से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के कुछ ही घण्टों बाद भाजपा ने माणिक साहा के चेहरे का ऐलान कर दिया था। मणिका साहा का नाम अचानक से सामने आने के बाद कई लोग हैरान रह गए थे। हैरानी का एक कारण यह भी था कि मुख्यमंत्री बनने से महज 6 साल पहले ही वह कॉन्ग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। यही नहीं, सीएम की कुर्सी सँभालने के कुछ महीने पहले ही उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया था। हालाँकि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राज्यसभा की कुर्सी छोड़ दी थी। अब एक बार फिर पार्टी और विधायकों ने उन पर विश्वास जताया है।