Saturday, November 23, 2024
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कैप्टन अमरिंदर के ‘झूठ’ की खुली पोल, CM खट्टर के 2 दिन में 13 बार फोन कॉल के बावजूद भी नहीं की थी बात

"तुझे क्या मालूम है कि पंजाब में क्या हो रहा है और क्या नहीं? तू अपने राज्य को संभाल। तू ये बातें जो कर रहा है..." - पंजाब के कॉन्ग्रेसी CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरियाणा के CM को तू-तड़ाक वाली भाषा में...

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कभी उनसे फोन कॉल कर के संपर्क करने की कोशिश नहीं की। इस आरोप के बाद हरियाणा सीएम के पर्सनल सेक्रेटरी (PA) अभिमन्यु सिंह ने उनकी पोल खोली। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और वहाँ जाने का हर किसी को अधिकार है, इसीलिए किसान भी वहाँ जाना चाहते थे।

बता दें कि पंजाब से किसानों ने हरियाणा होकर ही दिल्ली का रुख किया है। सरकार के लाख आश्वासनों के बावजूद हजारों की संख्या में ‘किसान प्रदर्शनकारियों’ ने दिल्ली कूच किया और सीमा पर पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई। इस आंदोलन में खालिस्तानी और इस्लामी कट्टरपंथी संगठन भी शामिल हो गए हैं। साथ ही योगेंद्र यादव जैसे चेहरे भी हैं, जो JNU हिंसा और दिल्ली के हिन्दू-विरोधी दंगों के दौरान खासे सक्रिय रहे थे।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने ‘रिपब्लिक भारत’ पर अर्णब गोस्वामी से बात करते हुए कहा कि जहाँ भारत सरकार ने किसानों को मिलने का आश्वासन दे दिया और उन्हें बताया कि उनके प्रदर्शन के लिए जगह की भी व्यवस्था कर दी गई है। कैप्टन ने कहा कि उन्होंने भी किसानों से कहा कि वो दिल्ली जाकर भारत सरकार से अपनी बात कहें। लेकिन, उन्होंने साथ में आरोप लगाया कि बीच में हरियाणा सरकार रुकावट डाल दी।

उन्होंने दावा किया कि हरियाणा ने ये पहली बार नहीं किया है, लेकिन मनोहर लाल खट्टर हमेशा से उन पर ही आरोप लगाते रहते हैं। उन्होंने हरियाणा के सीएम से कहा, “तुझे क्या मालूम है कि पंजाब में क्या हो रहा है और क्या नहीं? तू अपने राज्य को संभाल। तू ये बातें जो कर रहा है कि कैप्टन ने ये सब किया है, तो मैं पूछता हूँ कि तेरी कोई खास ख़ुफ़िया एजेंसी है, जिसके पास वो सूचनाएँ हैं, जो हमारे राष्ट्रीय एजेंसियों के पास नहीं है?

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मनोहर लाल खट्टर ने पंजाबियों के साथ बर्ताव किया है, वो उनसे कभी नहीं मिलेंगे। उन्होंने ये भी दावा किया कि खट्टर ने उनसे कभी संपर्क ही नहीं किया। इसके बाद अभिमन्यु सिंह ने एक दस्तावेज शेयर किया, जिसमें बताया गया है कि हरियाणा के CMO से कब-कब पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क किया गया और सीएम अमरिंदर से बात नहीं हो सकी। उन्होंने पूछा कि क्या कैप्टन के दफ्तर के कर्मचारियों ने उन्हें इस बारे में नहीं बताया?

उस दस्तावेज की मानें तो सबसे पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आवास पर कॉल किया गया, लेकिन सोमवार (नवंबर 23, 2020) को शाम 6:23 बजे किए गए इस फोन कॉल में बताया गया कि मुख्यमंत्री ‘आउट ऑफ स्टेशन’ हैं और सिसवा फार्म पर संपर्क करें। इसके एक मिनट बाद ही हरियाणा सीएम की तरफ से सिसवा फार्म पर भी कॉल किया गया, लेकिन बताया गया कि कैप्टन फ़िलहाल उपलब्ध नहीं हैं।

इसके अगले दिन दोपहर 2:32 में पंजाब सीएम आवास पर फोन कॉल करने पर फिर से सिसवा फार्म पर संपर्क करने को कहा गया। इसके 7 मिनट बाद फार्म पर कॉल करने पर बताया गया कि मुख्यमंत्री बैठक में हैं। 4:16 में बताया गया कि सीएम फिर से बैठक में हैं। इसके सवा एक घंटे बाद फिर से सन्देश पहुँचाया गया। इसके बाद रात को 8:56, 8:57 और 8:58 में 3 बार लगातार कॉल किया गया, लेकिन किसी ने उठाया ही नहीं।

रात के 9:01 बजे फोन उठाया तो गया लेकिन उधर गैर-ज़रूरी बातें होती रहीं, इधर से क्या कहा जा रहा है इस पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया गया। अगले कॉल पर अधिकारी ने कहा कि वो पंजाब के सीएम को सूचित कर देंगे। कुल मिला कर 2 दिन में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पंजाब के सीएम से 13 बार संपर्क किया, लेकिन कैप्टन से बात नहीं हो सकी। पंजाब में जहाँ कॉन्ग्रेस की सरकार है, हरियाणा में भाजपा सत्ता में है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री के PA द्वारा शेयर किए गए दस्तावेज से कैप्टन अमरिंदर सिंह के ‘झूठ’ की पोल खुल गई है कि खट्टर ने उन्हें फोन कॉल नहीं किया। उनका ये कहना कि खट्टर ने उनसे संपर्क ही नहीं किया, सही नहीं लगता। साथ ही वो जिस तरह से धमकी दे रहे हैं कि वो हरियाणा के अपने समकक्ष से बात ही नहीं करेंगे, एक लोकतंत्रीय और संघीय ढाँचे के अपमान के साथ-साथ उनकी बातों में झलक रहे अहंकार की ओर इशारा करता है। फ़िलहाल दिल्ली के लोग इस अराजकता को भुगत रहे हैं।

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार द्वारा 3 कृषि सुधार विधेयक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन-कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किए जाने के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है। भारतीय किसान यूनियन (BKU), ऑल इंडिया फार्मर यूनियन (AIFU), ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) और ऑल इंडिया किसान महासंघ इसके विरोध में हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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