पीडीपी प्रमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा जावेद ने एक वॉयस नोट जारी करते हुए लिखा कि उनकी माँ महबूबा मुफ्ती की गिरफ्तारी के बाद अब उन्हें भी अपने ही घर में नजरबंद कर दिया गया है। उन्होंने इस बारे में गृहमंत्री अमित शाह को कहा, “आज जब बाकी देश भारत के स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है, कश्मीरियों को जानवरों की तरह कैद करके रखा गया है और उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित किया गया है।” उन्होंने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि उन्हें घर में नजरबंद करके धमकी दी गई है कि अगर उन्होंने दोबारा मीडिया से बात की, तो इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
इल्तिजा का कहना है कि जब कोई उनसे मिलने के लिए आता है, तो उन्हें इसकी सूचना नहीं दी जाती है और उन्हें अपने घर से बाहर निकलने की भी अनुमति नहीं है। उनका कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में एक नागरिक को बोलने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और अपराधी की तरह बर्ताव किया जा रहा है। इल्तिजा ने कहा कि जिन कश्मीरियों ने आवाज उठाई है, उनके साथ वो भी जान का खतरा महसूस कर रही हैं।
Iltija “Sana” Mufti, daughter to @MehboobaMufti has written a letter to Home Minister @AmitShah questioning her detention and much else happening in #Kashmir. She has also attached a voice note authorising media to use her missive. Attached. pic.twitter.com/HY1LkohCkq
— Sankarshan Thakur (@SankarshanT) August 15, 2019
इससे पहले भी इल्तिजा ने वॉयस नोट जारी करते हुए अपनी माँ की गिरफ्तारी और प्रदेश में संचार सुविधा पर विराम लगाने को लेकर सवाल किया था। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के पर कतरने के बाद सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला सहित जम्मू-कश्मीर के कई राजनेताओं को हिरासत में रखा गया है।
लेकिन जरा सोचिए! आज जबकि राज्य में महबूबा मुफ्ती की सरकार नहीं है और केंद्र सरकार प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासनिक तौर पर अपना काम कर रही है, तो उनकी बेटी इल्तिजा जावेद को काफी परेशानी हो रही है। मगर जब महबूबा मुफ्ती 3 बार मुख्यमंत्री रहीं, तब तो इनको कोई दिक्कत नहीं हो रही थी, क्योंकि उस समय परेशानियों का सामना इन्हें नहीं, बल्कि जनता को करना पड़ता था। मुख्यमंत्री तक अपनी आवाज पहुँचाने के लिए पत्र, ईमेल, हेल्पलाइअन नंबर का सहारा लेना पड़ता था। तब कश्मीरी जनता सीधे तौर पर तो मुख्यमंत्री से बात नहीं कर सकते थे, क्योंकि तब उनकी सुरक्षा का सवाल था!
आम कश्मीरी जनता का भाँति आज महबूबा मुफ्ती की बेटी भी पत्र और वॉयस मैसेज के जरिए अपनी आवाज सरकार (केंद्र सरकार क्योंकि अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है) तक पहुँचा रही हैं, क्योंकि आज देश की सुरक्षा का सवाल है। इसलिए इल्तिजा जावेद या किसी को भी इससे कोई दिक्कत या परेशानी नहीं होनी चाहिए। और वैसे भी ये हमेशा के लिए तो नहीं किया गया है। जब सरकार को लगेगा कि स्थिति सामान्य हो गई है, और देश की सुरक्षा पर कोई खतरा नहीं है, तो फिर सब कुछ सुचारू रूप से चालू कर दिया जाएगा।
इल्तिजा जावेद को सिर्फ मुख्यमंत्री की बेटी के तौर पर नहीं सोचना चाहिए बल्कि एक आम कश्मीरी नागरिक के तौर पर सोचना चाहिए। हर नागरिक को समान अधिकार मिले हैं, जिस दिन नेता-पुत्रों-पुत्रियों को यह बात समझ में आ जाएगी, हर बात पर अधिकारों का रोना रोने वाली इनकी हेकड़ी खत्म हो जाएगी।